PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार भले ही एनडीए का चेहरा हों। बीजेपी ने भले ही बार-बार नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया हो लेकिन नीतीश अपनी अल्पसंख्यक राजनीति को साइडलाइन नहीं करेंगे। जनता दल यूनाइटेड के वर्चुअल सम्मेलन के दौरान यह बात सामने आई है। जिलों के पदाधिकारियों के साथ वर्चुअल संवाद करते हुए नीतीश कुमार ने यह साफ कर दिया है कि उन्होंने अल्पसंख्यकों के लिए सबसे ज्यादा काम किया।
जेडीयू नेताओं से संवाद के दौरान नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार में आरजेडी और कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को डराकर वोट लिया लेकिन 2005 में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने अल्पसंख्यक समाज के लिए सबसे ज्यादा काम किया है। नीतीश ने कहा है कि अल्पसंख्यकों को सोचना चाहिए कि 2005 से पहले बिहार में उनके लिए क्या किया गया था। नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के नेताओं को कहा है कि वह अल्पसंख्यक के समाज से यह पूछें कि सरकार ने उनके लिए कौन-कौन से काम किया और पहले की सरकारों में उन्हें क्या मिला। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आरजेडी के शासनकाल अल्पसंख्यक कल्याण का बजट केवल 3.45 करोड़ हुआ करता था जो आज बढ़कर 600 करोड़ रुपए है।
8 जिलों के पार्टी पदाधिकारियों के साथ संवाद करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए किए गए कार्यों की चर्चा पार्टी के नेता लगातार अपने इलाकों में अल्पसंख्यक समाज के साथ करें। नीतीश कुमार आज सीमांचल और कोसी के इलाके में जेडीयू पदाधिकारियों से बातचीत कर रहे थे। इस इलाके में अल्पसंख्यक वोट बैंक का बड़ा प्रभाव है लिहाजा नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के नेताओं को यह टारगेट दे दिया है। सोमवार को मुख्यमंत्री ने सुपौल, सहरसा, मधेपुरा, किशनगंज, अररिया, पूर्णिया, कटिहार और दरभंगा के कार्यकर्ताओं से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सरकार के कामकाज करने का तरीका समानता के साथ है हम किसी जाति या संप्रदाय में भेदभाव के आधार पर काम नहीं करते हैं।