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नीतीश ने BJP को दिया जवाब- अब मरना कबूल है लेकिन भाजपा के साथ नहीं जायेंगे, चुनाव आने दीजिये हैसियत पता चल जायेगी

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 30 Jan 2023 12:11:35 PM IST

नीतीश ने BJP को दिया जवाब- अब मरना कबूल है लेकिन भाजपा के साथ नहीं जायेंगे, चुनाव आने दीजिये हैसियत पता चल जायेगी

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PATNA: रविवार को भाजपा ने ये एलान किया था कि अब नीतीश कुमार से इस जिंदगी में कोई समझौता नहीं होगा. आज नीतीश कुमार ने बीजेपी को जवाब दिया है. पटना में पत्रकारों से बात करते हुए नीतीश कुमार बोले-अब मुझे मरना कबूल है लेकिन भाजपा के साथ नहीं जाऊंगा. नीतीश ने कहा कि चुनाव आने दीजिये किसकी कितनी हैसियत है इसका पता चल जायेगा.


नीतीश कुमार से आज पत्रकारों ने भाजपा के फैसले को लेकर सवाल पूछा. जवाब में नीतीश बोले-हम लोग तो अटल जी को मानने वाले थे इसलिए उनके साथ थे. उसके बाद तो 2013 में हम लोगों ने उन्हें छोड़ दिये थे. बाद में पीछे पड़के 2017 में साथ ले आये. उनकी बात मान कर हम उनके साथ चले गये थे. लेकिन अब फिर अलग हो गये हैं.


नीतीश कुमार ने कहा-हम लोगों को इतना आग्रह किये थे कि 2017 में हम उनके साथ चले गये थे. बाद में लग गया कि वे बिल्कुल गलत है. 2020 के चुनाव में जो हमारे साथ किया. हम बनना नहीं चाहते थे मुख्यमंत्री. जबदरस्ती बैठ के लोग मुख्यमंत्री बनाया. बाद में देखा कि इधर उधर करने लगे हैं लोग. मेरी पार्टी का सब लोग बोलता था कि वही लोग हम लोगों को चुनाव हरवाया था. उ लोग जो जीता वो तो हम लोग के वोट से जीता था. 


नीतीश ने कहा-आगे का चुनाव होगा तब न देखियेगा. काहे के लिए चिंता कर रहे हैं. बिहार को ठीक से जान लीजिये. जितना हम लोगों ने इज्जत दिया है. भूल गये हैं-जब हमारे साथ एलायंस था तो 2005 और 2010 के चुनाव में कौन कितना सीट जीता था. उस समय भी गडबड़ी करता था, झारखंड मुक्ति मोर्चा औऱ शिवसेना जैसी पार्टी को बिहार में लड़वाता था. उनका सिंबल तीर धनुष था जिससे हमारे वोट भ्रमित हो जाते थे. उससे हमारे 5-7 लोग चुनाव हार जाते थे. जब एलायंस नहीं था तो 2015 में कितना सीट आया था.


मर जाना कबूल है

नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोगों का अब सवाल ही पैदा नहीं होता है. मर जाना कबूल है लेकिन उनके साथ जाना हम कभी नहीं कबूल है. ये अच्छी तरह जान लीजिये. ये बोगस बात है. काहे के लिए बोल रहा है. एतना मेहनत करके हमको अपने साथ लाया था. क्या-क्या कर दिया था. बिना मतलब के तेजस्वी के पिता जी पर केस कर के क्या क्या कर दिया था. अब बिना मतलब के केस किया था. अब हम फिर अलग हुए हैं तो कुछ कुछ करने में लगा है. यही सब चक्कर में है. 


बता दें कि इससे पहले रविवार को बीजेपी ने कहा था कि नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में बोझ बन गये हैं. उनकी हैसियत अब 10-15 सीट जीतने की भी नहीं रह गयी है. बार-बार धोखा देने वाले नीतीश कुमार से अब इस जिंदगी में कभी कोई समझौता नहीं होगा.


बीजेपी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में बीजेपी के प्रदेश प्रभारी विनोद तावडे ने अपनी पार्टी के नेताओं को जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का सर्वसम्मत फैसला है कि अब नीतीश कुमार से किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया जायेगा. पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया था कि भाजपा ने तय कर लिया है कि नीतीश कुमार से इस जिंदगी में कभी समझौता नहीं होगा. नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के लिए बोझ हो गये हैं. समझौता उससे होता है जिसकी कोई ताकत होती है. जिसकी कोई ताकत ही नहीं है उसके बारे में क्या बात की जाये. नीतीश कुमार के पास न कोई वोट बचा है और ना ही वे कोई वोट ट्रांसफर करा सकते हैं.


बीजेपी ने कहा था कि 2020 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार 43 सीट भी इसलिए जीत पाये क्योंकि बीजेपी ने सारी ताकत झोंक दी थी. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार आकर नीतीश कुमार की पार्टी के लिए प्रचार किया. वर्ना वे तो 15 सीट भी नहीं जीत पाते. अब नीतीश कुमार राजद के साथ रहें या किसी दूसरी पार्टी के साथ जायें. उस पार्टी को भी ले डूबेंगे. उनके पास वोट दिलाने की क्षमता नहीं रह गयी है. बीजेपी तो खुश है कि वह छोड़ कर चले गये. अब बीजेपी अपनी ताकत के बल पर 2025 में बिहार में सरकार बनायेगी. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी प्रचंड बहुमत से जीतेगी. लिहाजा अब कोई सवाल ही नहीं होता कि नीतीश कुमार से इस जिंदगी में कोई समझौता होगा.


उपेंद्र कुशवाहा के बारे में पता नहीं

सुशील मोदी से उपेंद्र कुशवाहा के बीजेपी के साथ आने पर सवाल पूछा गया. मोदी ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी ही नहीं है. ये जेडीयू के अंदर का मामला है. पत्रकारों ने सवाल पूछा कि क्या उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी से कोई बात हुई है. सुशील मोदी ने कहा कि ना तो उन्हें जानकारी है और ना ही वे किसी दूसरी पार्टी के नेता से बात करने के लिए अधिकृत हैं.