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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 05 Oct 2023 07:24:11 AM IST
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PATNA : बिहार में लगातार बढ़ रहे क्राइम ग्राफ को देखते हुए और लोगों की समस्या को सही तरीके से सरकार के पास पहुंचाने को लेकर बड़ा निर्णय लिया है। राज्य सरकार के तरफ से अधिसूचना जारी कर बिहार मानवाधिकार आयोग का नया चेयरमैन घोषित किया गया है। इसकी अधिसूचना गृह विभाग के तरफ से जारी कर दी गयी है। इस अधिसूचना में इस पद को लेकर जो नाम तय किया गया है वो शख्स पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश रह चुके हैं।
दरअसल, गृह विभाग ने अधिसूचना जारी करते हुए कहा है कि बिहार मानवाधिकार आयोग के नए चेयरमैन जस्टिस अनंत मनोहर बदर बनाए गए हैं। जस्टिस अनंत मनोहर बदर पटना हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश हैं। अनंत मनोहर बदर का जन्म 10 अगस्त 1961 को हुआ था। उन्होंने बी.कॉम. के बाद एल.एल.बी. की पढ़ाई की। 30 सितंबर 1985 को एक वकील के तौर पर कानूनी करियर शुरुआत की है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में सरकारी वकील और लोक अभियोजक बने थे।
मिली जानकारी के अनुसार, जस्टिस अनंत मनोहर बदर श्रम और औद्योगिक न्यायालयों सहित विभिन्न न्यायाधिकरणों में भी अभ्यास किया है। ये साल 1991 में सरकारी वकील के मानद सहायक के रूप में नियुक्त गए थे और उसके बाद फरवरी 1992 और अक्टूबर 1994 से बॉम्बे, नागपुर बेंच में न्यायिक उच्च न्यायालय में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किए गए। उसके बाद नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट, नागपुर नगर निगम, महाराष्ट्र वन विकास निगम लिमिटेड और वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड के लिए स्थाई वकील थे।
वहीं, नवंबर 2000 में सीधी भर्ती के जरिए ये जिला न्यायाधीश के रूप में महाराष्ट्र न्यायिक सेवा में शामिल हुए। इसके साथ ही इन्होनें अकोला और वर्धा में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में काम किया। इसके साथ ही साथ ये नागपुर में औद्योगिक न्यायाधिकरण के सदस्य और पुणे में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के रूप में काम किया। उसके बाद वापस से बॉम्बे हाई कोर्ट में रजिस्ट्रार (सतर्कता) के रूप में भी काम किया।
उधर, दिसंबर 2013 से 3 मार्च, 2014 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने तक महाराष्ट्र राज्य के कानून और न्यायपालिका विभाग के प्रमुख सचिव के रूप में काम किया। मई 2020 में केरल हाई कोर्ट में स्थानांतरित किया गया और फिर 20 तारीख को पटना हाई कोर्ट में स्थानांतरित किए गए।