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1st Bihar Published by: Updated Tue, 21 Apr 2020 09:06:05 PM IST
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PATNA : कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच बिहार में उपापोह की स्थिति बनती जा रही है. बिहार में कोरोना की जांच में लगी सरकारी संस्थानों की ही अलग-अलग रिपोर्ट ने भारी भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी है. आलम ये है कि AIIMS जिसे कोरोना पॉजिटिव करार दे रहा है, उसे RMRI और NMCH निगेटिव बता रहे हैं. पटना के खाजपुरा की जिस महिला को दो दिन पहले AIIMS ने कोरोना पॉजिटिव बताया था. उसे बाद में RMRI और NMCH निगेटिव बता दिया. आज उसी महिला के संपर्क में आने से एक शख्स को कोरोना पॉजिटिव बता दिया गया है.
दरअसल स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक आज पटना में आज 31 साल के जिस व्यक्ति की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई है. वह इसी महिला के संपर्क में आने से संक्रमित हुआ है. बता दें कि पटना के खाजपुरा इलाके की एक महिला को दो दिन पहले एम्स ने पॉजिटिव करार दिया था. स्वास्थ्य विभाग ने महिला की रिपोर्ट को क्रॉस चेक करने के लिए ब्लड सैंपल को RMRI और NMCH भेजा था. दोनों संस्थानों ने आज महिला को निगेटिव करार दिया. सरकार को दोनों संस्थानों की रिपोर्ट मिल चुकी है. हालांकि अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हालांकि महिला को अभी भी पटना में कोरोना एक्टिव की लिस्ट में रखा गया है.
एम्स पर लगी पाबंदी
इस पूरे मामले में सरकार की ओर से एम्स के ऊपर कोरोना टेस्ट के बारे में बताने पर रोक लगा दिया गया है. सरकार की ओर से एम्स प्रबंधन के ऊपर यह पाबंदी लगाई गई है कि अब से किसी भी कोरोना जांच की रिपोर्ट के बारे में एम्स सार्वजनिक तौर पर कोई सूचना नहीं जारी करेगा. कोरोना जांच में उपापोह की स्थिति को देखते हुए सरकार की ओर से यह सख्त निर्देश जारी किया गया है.
बिहार में कोरोना की जांच में लगी सरकारी संस्थानों की ही अलग-अलग रिपोर्ट ने भारी भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी है. आलम ये है कि AIIMS जिसे कोरोना पॉजिटिव करार दे रहा है, उसे RMRI और NMCH निगेटिव बता रहे हैं. पटना के खाजपुरा की जिस महिला को दो दिन पहले AIIMS ने कोरोना पॉजिटिव बताया था आज उसे RMRI और NMCH दोनों ने निगेटिव बता दिया. ये दूसरा मामला है जब कोरोना की जांच में सरकारी संस्थानों की अलग अलग रिपोर्ट आयी है. ऐसे में लोगों से लेकर राज्य सरकार मुसीबत में फंसी है.
दरअसल पटना के खाजपुरा की रहने वाली महिला 17 अप्रैल को एम्स में भर्ती हुई थी. उसे खांसी-सर्दी थी और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. एम्स ने उसे कोरोना पॉजिटिव घोषित कर दिया. उसके बाद सरकार से लेकर पटना के बड़े इलाके में दहशत कायम हो गया था. इस महिला या उसके परिजनों का कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं था. शासन ने पूरे इलाके को सील कर दिया था. वही महिला के तमाम परिजनों को आइशोलेसन में रख दिया गया था. एम्स में भर्ती होने से पहले उस महिला को ESI के अस्पताल में ले जाया गया था. वहां के भी डॉक्टरों और दूसरे स्वास्थ्यकर्मियों को क्वारंटाइन कर दिया गया था. अब रिपोर्ट आयी है कि महिला को कोरोना वायरस ने अपना शिकार नहीं है. लेकिन आज मंगलवार को एक बार फिर से यह मामला सुर्ख़ियों में छा गया है, क्योंकि पटना में आज पॉजिटिव मिलने वाले मरीज को इसी महिला के सम्पर्क में आने से संक्रमित करार दिया जा रहा है.
इससे ठीक पहले वैशाली के नवल राय नामक युवक के साथ भी ऐसा ही हुआ. वैशाली के राघोपुर निवासी नवल किशोर राय की इलाज के दौरान एम्स में मौत हो गयी. मौत के बाद एम्स ने बताया कि नवल राय कोरोना पॉजिटिव था. नवल राय की भी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. लिहाजा सरकार सकते में थी. उसके पूरे गांव को सील करने के साथ ही सारे परिजनों को भी क्वारंटाइन कर दिया गया. नवल राय के अंतिम संस्कार में भी इक्का-दुक्का लोगों को जाने दिया गया और बांस के सहारे शव को मुखाग्नि दी गयी.
नवल राय की मौत के बाद राज्य सरकार ने उसके ब्लड सैंपल को क्रॉस वेरीफिकेशन के लिए सहेज लिया था. मौत के बाद RMRI और NMCH की रिपोर्ट आयी जिसमें बताया गया कि नवल राय कोरोना पॉजिटिव नहीं था.नवल राय से पहले पटना की एक नर्स पिंकी कुमारी के साथ भी ऐसा ही हुआ था. बिहार में कोरोना के पहले मरीज के इलाज के दौरान पिंकी उसके संपर्क में आयी थी. नर्स पिंकी की पहली रिपोर्ट में उसे पॉजिटिव बताया गया, दो दिन बाद की दूसरी रिपोर्ट में उसे निगेटिव करार दिया गया.