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1st Bihar Published by: Updated Sun, 19 Jul 2020 08:47:07 AM IST
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PATNA : बिहार में संक्रमण की तेज रफ्तार और सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया था। पटना के लगभग सभी बड़े निजी अस्पतालों को बार-बार इस संबंध में गाइडलाइन जारी किया गया लेकिन प्राइवेट अस्पताल कोरोना का इलाज करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे। अब इस मामले को लेकर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। जिला प्रशासन की सख्ती के बाद पटना के 30 बड़े निजी अस्पतालों में इलाज करने का रास्ता साफ होता दिख रहा है।
पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने राजधानी के सभी बड़े निजी अस्पतालों को यह निर्देश दिया है कि वह अपने यहां आइसोलेशन वार्ड बनाए और बेड की संख्या को बढ़ाएं। अस्पताल संचालकों को इस संबंध में जिला प्रशासन की तरफ से सूचना दे दी गई है और उम्मीद है कि अगले 1 से 2 दिन में पटना के निजी अस्पतालों में कोरोना का इलाज शुरू हो जाएगा। सरकार और जिला प्रशासन को लगातार शिकायत मिल रही थी कि प्राइवेट अस्पताल कोरोना का इलाज नहीं कर रहे हैं। प्राइवेट अस्पताल इसके लिए सुविधाओं के नहीं होने का हवाला दे रहे थे। प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की भर्ती नहीं लेने की शिकायत मिलने के बाद जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अख्तियार किया है और स्पष्ट तौर पर कहा है कि कोई भी प्राइवेट अस्पताल मरीजों को सरकारी अस्पताल में रेफ़र्बनहीं करेगा। राज्य सरकार सरकारी अस्पतालों में मरीजों का दबाव बढ़ने से परेशान है हालांकि प्राइवेट अस्पतालों में लोगों को मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं मिलेगी। यहां इलाज के लिए लोगों को पैसे देने होंगे। जिला प्रशासन प्राइवेट अस्पताल में कोरोना के इलाज पर होने वाले खर्च को लेकर अस्पताल संचालकों से बातचीत कर रहा है। कोशिश जारी है कि खर्च को न्यूनतम स्तर पर ले जाया जा सके।
हालांकि राजधानी के कई प्राइवेट अस्पताल ऐसे भी हैं जिन्होंने जिला प्रशासन की इस पहल के बाद कोरोना का इलाज अपने यहां शुरू करने के लिए जिला प्रशासन को आवेदन दिया है। ऐसे अस्पताल संचालकों का कहना है कि आइसोलेशन वार्ड और बेड की सुविधा उपलब्ध कराने के बाद जल्द ही वह अपने यहां कोरोना के मरीजों का इलाज शुरू कर देंगे। आपको याद दिला दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हफ्तों पहले निजी अस्पतालों में कोरोना का ट्रीटमेंट शुरू करने की जरूरत बताई थी लेकिन प्राइवेट अस्पतालों के संचालकों के रवैये के कारण अब तक के इस पर ठोस पहल नहीं हो सकी थी।