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राजनीति में कुर्सी ही सिद्धांत, बोले तेजस्वी के MLA... किसी एक पार्टी के जाने से नहीं पड़ता फर्क, कई लोग साथ आने को तैयार

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 14 Jun 2023 11:54:10 AM IST

राजनीति में कुर्सी ही सिद्धांत, बोले तेजस्वी के MLA... किसी एक पार्टी के जाने से नहीं पड़ता फर्क, कई लोग साथ आने को तैयार

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PATNA : बिहार की राजनीति में सियासी उठापटक जारी है। जबसे नीतीश और तहसील की सरकार बनी है तब से अब तक तीन मंत्रियों का इस्तीफा हो चुका है। इसके बाद अब हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नीतीश सरकार में मंत्री संतोष कुमार सुमन में भी अपना इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है लेकिन जा कहां जा रहा है लोकसभा स्पीकर उनकी बात नहीं बनने के कारण इस्तीफा दिया गया है। वहीं संतोष मांझी के इस्तीफे के बाद बिहार की राजनीति में सियासत काफी गरम हो गई है और इसी कड़ी में अब राजद के विधायक सुधाकर सिंह ने बड़ा दावा किया है। सुधाकर सिंह ने कहा कि - बिहार की राजनीति में अब कुर्सी ही सिद्धांत हो गई है।


बिहार में महागठबंधन की सरकार है। हम जनता की राजनीति करते हैं। हम उन लोगों की आवाज बनते हैं जो समाज में हासिए पर हैं। जो खाने बचाने वाले लोग हैं उनको इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकार किसकी आनी है और किसकी जानी है। समाज के जो गरीब लोग हैं उनके लिए महागठबंधन की नीति काफी उचित है और हम उन्हीं लोगों का आवाज बनते हैं।लेकिन भाजपा लगातार लोगों को इन मुद्दों से हटाने के लिए धर्मवाद और राज्यवाद की नीतियों को लोगों के बीच ला रही है।


वही जीतन राम मांझी की पार्टी हमके महागठबंधन से अलग होने पर सुधाकर सिंह ने कहा कि महागठबंधन मजबूत है एक पार्टी जाएगा तो दूसरा पार्टी आएगा यह तो शुरू से ही चलता रहा है। यह राजनेताओं का आधारित दलों का नया चरित्र है कि वह अपने मुद्दों पर अधिक नहीं रहते हैं। अब तो यही लगता है कि नहीं राजनीति में लोगों ने तय है कर लिया है कि कुर्सी ही सिद्धांत है। इसी के चलते कुर्सी का कसम ना खाते हुए काम करने की कसम खानी चाहिए।


मांझी जी सम्मानित नेता रहेगा और बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। बिहार के विकास में उनका योगदान रहा है। लंबा उनका राजनीतिक अनुभव रहा है। इन परिस्थितियों में उनका यह निर्णय काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। हम लोग तो पुनर्विचार की बात करेंगे कि महागठबंधन की मजबूती बरकरार रहे। कभी-कभी जरूर वह व्यक्तिगत पीड़ा महसूस किए होंगे लेकिन व्यक्तिगत पीड़ा को भूलकर राज हित के लिए महागठबंधन के साथ चलना चाहिए।