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1st Bihar Published by: Updated Sun, 01 Mar 2020 06:19:31 PM IST
                    
                    
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PATNA: अपने दो प्रमुख सिपाहसलारों पर नीतीश कुमार की हद से ज्यादा निर्भरता ने बिहार चुनाव से ठीक पहले उनकी भारी भद्द पिटवा दी. गांधी मैदान में आज हुए जेडीयू के सुपर फ्लॉप शो का बड़ा असर हो सकता है. बीजेपी पर हद से ज्यादा प्रेशर बना रहे नीतीश कुमार अब बैकफुट पर जा सकते हैं.
क्यों फ्लॉप हुई नीतीश की रैली
जेडीयू ने अपने नेता नीतीश कुमार के जन्मदिन पर पूरे राज्य के अपने कार्यकर्ताओं को जुटाने का एलान किया था. रैली सह कार्यकर्ता सम्मेलन में बिहार से दो लाख लोगों के जुटने का दावा किया गया था. लेकिन गांधी मैदान से लेकर सड़क पर घूम रहे लोगों की कुल तादाद को जोड़ लिया जाये तो ये संख्या 50-60 तक पहुंचती नहीं दिखी. गांधी मैदान में बमुश्किल 25 से 30 हजार लोग थे. ये भी मान लिया जाये कि मैदान के बाहर इतन ही लोग सड़क पर घूम रहे थे तो भी पटना आये जेडीयू वर्करों की तादाद 50-60 से ज्यादा नहीं होती.
हवा में बनाया गया जेडीयू का संगठन
कुछ दिन पहले नीतीश कुमार ने अपने आवास पर पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक बुलायी थी. उसी बैठक में उनके खास सिपाहसलार और जेडीयू के संगठन प्रभारी रामचंद्र प्रसाद सिंह ने एलान किया कि 1 मार्च को होने वाले सम्मेलन में पूरे बिहार से दो लाख कार्यकर्ता जुटेंगे. रामचंद्र प्रसाद सिंह या फिर RCP सिंह का ये आंकड़ा पिछले चार-पांच महीनों में कागज पर तैयार हुए जेडीयू के सांगठनिक ढांचे के आधार पर किया गया था.
दरअसल बिहार में 72,723 बूथ हैं. RCP सिंह ने दावा किया था कि सभी बूथों पर अध्यक्ष और सचिव यानि दो सदस्यों की कमेटी बन गयी है. उन्हें रैली में बुलाया गया था. उनकी तादाद ही तकरीबन डेढ़ लाख होती है. इसके अलावा हर पंचायत में दस सदस्यों की पार्टी की कमेटी है. वहीं प्रखंड स्तर पर भी ऐसी ही कमेटी बनी है. पंचायत और प्रखंड कमेटी के सारे जेडीयू पदाधिकारियों को इस सम्मेलन में बुलाया गया था.
जेडीयू ने कागज पर संगठन की और बड़ी सूची तैयार की है. पार्टी के 27 प्रकोष्ठ बनाये गये हैं. सभी प्रखंडों में प्रकोष्ठों की अलग से सूची तैयार की गयी है. बूथ से लेकर पंचायत और प्रखंड और प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों को जोड़ दें तो जेडीयू के कार्यकर्ताओं की तादाद 3 लाख से ज्यादा होती है. इसी आंकड़े के बल पर कार्यकर्ता सम्मेलन में दो लाख से ज्यादा लोगों के आने का दावा किया जा रहा था.
लेकिन आज पार्टी के फ्लॉप शो ने बता दिया कि संगठन का पूरा ढांचा कागज पर तैयार किया गया है. वैसे अंदर की बात ये है कि जेडीयू के नेताओं ने संगठन के लोगों के अलावा दूसरे लोगों को भी पटना लाने की तैयारी की थी. जेडीयू के आज के कार्यक्रम की तैयारी कार्यकर्ता सम्मेलन के बजाय रैली की तर्ज पर की गयी थी. लेकिन सारी कोशिशों का फल क्या निकला ये जगजाहिर है.
RCP-ललन की जोडी ने भद्द पिटवायी
जेडीयू के अंदर के लोग बताते हैं कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी को लेकर दो नेताओं पर निर्भर हो गये हैं. सबसे अहम भूमिका RCP सिंह की है. संगठन का सारा जिम्मा RCP सिंह के जिम्मे है. वहीं, पार्टी की रणनीति तैयार करने का काम ललन सिंह को सौंप दिया गया है. RCP और ललन सिंह की जोडी ही नीतीश के सबसे करीबी सलाहकार माने जा रहे हैं.
पार्टी के लोग बताते हैं कि RCP-ललन सिंह की जोड़ी के सामने जनता पर पकड़ रखन वाले दूसरे सभी नेता किनारे कर दिये गये हैं. कई नेता पार्टी छोड़ गये हैं. जो पार्टी में बचे भी हैं उन्हें कोई जिम्मेवारी नहीं दी जा रही है. ऐसे नेताओं की लंबी चौड़ी लिस्ट है.
जेडीयू के जानकार बताते हैं कि RCP-ललन सिंह की जोड़ी ने ही आज के फ्लॉप शो की पटकथा लिख दी थी. जेडीयू छोड़ गये एक नेता ने बताया कि पार्टी में नीतीश कुमार के बाद आरसीपी सिंह और ललन सिंह की चलती है. उसके बाद सबसे पावरफुल संजय गांधी बन गये हैं. जहां संजय गांधी जैसे लोग सीनियर नेताओं पर हुक्म चलायेंगे उस पार्टी का भगवान ही मालिक है.