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शराब माफिया के साथ पुलिस की मिलीभगत का मामला जनता दरबार में आया सामने, CM ने DGP को तुरंत एक्शन लेने को कहा

1st Bihar Published by: Updated Mon, 06 Sep 2021 02:44:23 PM IST

शराब माफिया के साथ पुलिस की मिलीभगत का मामला जनता दरबार में आया सामने, CM ने DGP को तुरंत एक्शन लेने को कहा

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PATNA : शराब माफिया के संबंध में सूचना देने पर कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज एक व्यक्ति आज मुख्यमंत्री के जनता दरबार कार्यक्रम में पहुंचे। सीवान के गौतम यादव ने मुख्यमंत्री के समक्ष अपनी बातें रखी। 


गौतम यादव ने बताया कि शराब माफिया के संबंध में उन्होंने 18 नवम्बर 2020 में सीवान एसपी से शिकायत की थी। एसपी ने उनके आवेदन को उसी थानेदार को सौंपा जिसके खिलाफ उन्होंने शिकायत दर्ज करायी थी। थानेदार ने उनके आवेदन को शराब माफिया को वाट्सएप कर दिया। ऐसे में अब शिकायतकर्ता को अपने जान का खतरा सता रहा है। इसी को लेकर आज वे मुख्यमंत्री के जनता दरबार में फरियाद लगाने पहुंचे। 


सीवान से जनता दरबार पहुंचे गौतम यादव की बातें सुनकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुस्सा हो गये। उन्होंने तुरंत डीजीपी को फोन लगाया। मुख्यमंत्री ने डीजीपी से पूछा कि आखिर यह कैसे हुआ? जब कि शराब माफिया की सूचना देने वाले लोगों का नाम गुप्त रखा जाता है तो फिर इस मामले में यह सब कैसे हुआ? CM नीतीश ने डीजीपी एसके सिंघल को इस मामले में तुरंत एक्शन लिए जाने की बात कही।


दरअसल 18 नवम्बर 2020 को शराब माफिया के खिलाफ गौतम यादव ने एसपी से शिकायत की थी। गौतम यादव ने इसे लेकर आवेदन एसपी को सौंपा था। लेकिन एसपी ने उस थानाध्यक्ष को जांच का जिम्मा दिया जिसके खिलाफ गौतम यादव ने शिकायत की थी। एसपी ने सिसवन थाने के थानाध्यक्ष को मामले की जांच करने का जिम्मा दे दिया।


गौतम यादव का आवेदन जब थानाध्यक्ष को मिला तो उन्होंने उसे शराब माफिया को वाट्सएप कर दिया। जिससे शराब माफिया को पता चल गया कि उसके खिलाफ किसने एसपी से शिकायत की है। अब शिकायत करने वाले गौतम यादव काफी डरे सहमे हैं। उन्हें अपनी जान की चिंता सता रही है।


इसी को लेकर आज वे मुख्यमंत्री के जनता दरबार में मदद के लिए पहुंचे जहां मुख्यमंत्री ने उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया और तुरंत डीजीपी एसके सिंघल को फोन लगाकर इस मामले में तत्काल एक्शन लेने की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब शराब माफिया के खिलाफ शिकायत करने वाले व्यक्ति का नाम गुप्त रखने का प्रावधान है तो इस मामले में क्यों लापरवाही बरती गयी?