PATNA: शराबबंदी पर नीतीश कुमार का दांव उलटा पड़ता जा रहा है। नीतीश भले ही जितने दावे कर रहे हों लेकिन शराबबंदी के नाम पर बिहार में जो कुछ हो रहा है उससे सरकार और जेडीयू मुसीबत में फंसी है। इस मुसीबत से निकलने के लिए नीतीश कुमार अब शराबबंदी यात्रा पर निकलेंगे। वे महिलाओं से मिलेंगे औऱ उनसे फीडबैक लेंगे।
नीतीश की शराबबंदी यात्रा
सरकारी सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक बिहार में फिलहाल पंचायत चुनाव चल रहा है। पंचायत चुनाव खत्म होते ही नीतीश कुमार शराबबंदी यात्रा पर निकल जायेंगे। वे बिहार के हर जिले में घूम घूम कर अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। लेकिन सबसे अहम रणनीति होगी महिलाओं के साथ मीटिंग करना. नीतीश कुमार हर जिले में महिलाओं के साथ मीटिंग करेंगे। उन्हें बतायेंगे कि सरकार ने ऐतिहासिक काम किया है औऱ उनसे जानेंगे कि इस ऐतिहासिक काम का कितना बेहतर रिजल्ट आ रहा है।
क्या फंस गये हैं नीतीश
सवाल ये उठ रहा है कि शराबबंदी लागू करने के 6 साल बाद नीतीश कुमार को शराबबंदी यात्रा निकालने की क्या जरूरत आ पड़ी है। दरअसल नीतीश अपने वोट बैंक की राजनीति में खुद फंसे हुए नजर आ रहे हैं। सियासी जानकार बताते हैं कि शराबबंदी लागू करने के पीछे नीतीश कुमार की सबसे बडी रणनीति ये थी कि इससे महिलायें खुश होंगी औऱ वे जेडीयू की वोट बैंक बन जायेंगी। महिलाओं को अपना वोट बैंक बनाने के लिए नीतीश ने शराबबंदी ही नहीं बल्कि कई औऱ फैसले लिये हैं लेकिन सबसे खास वे शराबबंदी को ही मान रहे हैं।
लेकिन शराबबंदी के इस जाल में नीतीश कुमार खुद फंसते हुए नजर आ रहे हैं। बिहार में सरकारी शराब बंद हुई तो अवैध शराब का इतना बड़ा कारोबार फैला कि पूरा सूबा इसके जाल में फंस गया है। शराब पीने वाले अब भी शराब पी रहे हैं फर्क सिर्फ इतना है कि पहले के मुकाबले दो-तीन गुणा ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। बिहार में ताबड़तोड़ जहरीली शराब कांड हुई औऱ सैकड़ों लोग मारे गये। शराब के नाम पर पुलिस जो खेल कर रही है उससे भी लोगों में खासा आक्रोश है।
लिहाजा नीतीश अपने महिला वोट बैंक को दुरूस्त करने के लिए यात्रा पर निकलने की तैयारी में है। हालांकि नीतीश कुमार की पहले की यात्राओं का अनुभव यही बताता है कि महिलाओं से फीडबैक लेने के सरकारी जलसे में आने वाली महिलायें पहले से ही सिखा पढ़ा कर ही लायी जायेंगी। लेकिन नीतीश को उम्मीद है कि इससे उनका वोट बैंक दुरूस्त हो जायेगा।