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1st Bihar Published by: Updated Fri, 21 Jan 2022 08:43:27 AM IST
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DESK : सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण मेरिट के खिलाफ नहीं है बल्कि सामाजिक न्याय है. कोर्ट ने किसी परीक्षा में मेरिट के साथ आरक्षण व्यवस्था लागू किए जाने को सही ठहराया है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने गुरुवार को नीट PG में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दाखिल सभी याचिकाएं खारिज कर दीं. और कहा कि मेरिट के साथ आरक्षण भी दिया जा सकता है. इसे विरोधाभासी नहीं मानना चाहिए.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने नीट PG के मामले में 7 जनवरी को फैसला सुनाया था. अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने केंद्र को मेडिकल पाठ्यक्रमों में अखिल भारतीय कोटा सीटों पर ओबीसी को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करने की अनुमति दी थी. लेकिन कोर्ट ने उस वक्त इस फैसले को लेने के कारण को विस्तार से नहीं बताया था. अब इसे अनुमति देते हुए गुरुवार को कोर्ट ने कहा आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है बल्कि इसके वितरण प्रभाव को आगे बढ़ाता है.
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की जा चुकी है. दलील यह थी कि ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ सालाना आय 8 लाख रूपए तक को दी जाती है. जो कि सही नहीं है. दलील देने वाले का तर्क है कि इतनी इनकम वाला परिवार आर्थिक रूप से पिछड़ा नहीं होता. लेकिन इसके जवाब में कोर्ट ने कहा था कि यह मापदंड सही है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि किसी व्यक्ति की आर्थिक या सामाजिक स्थिति ग्रेजुएट होने के बाद नहीं बादल जाती है. इसलिए कमजोर वर्ग को आरक्षण जरूरी है. और कहा कि जब किसी भी पीजी कोर्स के लिए आरक्षण लागू है तो फिर नीट में क्यों नहीं हो सकता. उम्मीदवार की सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि को भी योग्यता के मामले में ध्यान रखने की जरूरत है. नीट पीजी और यूजी में ओबीसी आरक्षण और ईडब्ल्यूएस आरक्षण संवैधानिक रूप से मान्य है। इसमें अब कोर्ट को दोबारा समीक्षा करने की जरूरत नहीं है.