PATNA: क्या BJP औऱ नीतीश कुमार का संबंध टूटने के कगार पर है? जातिगत जनगणना को लेकर नीतीश के बयानों से यही संकेत मिल रहे है। जिसे लेकर जेडीयू में खलबली मची हुई है। जेडीयू का एक धड़ा कह रहा है कि इसी मुद्दे पर बीजेपी को फंसा कर संबंध तोड़ लेना चाहिए। लेकिन नीतीश कुर्सी छोड़कर अलग नहीं रह सकते। लिहाजा वैकल्पिक व्यवस्था तलाश की जा रही है कि सरकार बची रहे। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया है कि आरजेडी से संपर्क साधने की ताबड़तोड़ कोशिशें की जा रही है।
नीतीश ने दिया तलाक का संकेत
दो दिन पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट किया था कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर गणना नहीं करा सकती। केंद्र सरकार ने बकायदा सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर ये एलान कर दिया कि वह जातिगत आधार पर जनगणना नहीं करा सकती। केंद्र सरकार के इस एलान के बाद दो दिनों से नीतीश चुप थे। आज दिल्ली पहुंचे तो खामोशी तोड़ी। नीतीश ने जो कहा उससे मैसेज यही निकल रहा है कि बीजेपी-जेडीयू के रिश्ते टूटने के कगार पर है।
सबसे बात कर फैसला लेंगे नीतीश
नीतीश ने आज जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र सरकार के तर्कों को सिरे से खारिज कर दिया। नीतीश ने कहा कि केंद्र सरकार जातिगत जनगणना को लेकर जो तर्क दे रही है वह गलत है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जातिगत जनगणना का संविधान में कोई प्रावधान नहीं है। दूसरा इसमें जो परेशानी आयेगी उससे देश में कुल जनसंख्या का पता लगाने के काम ही गड़बड़ हो जायेगा।
नीतीश कुमार बोले
“जातिगत जनगणना में कोई समस्या ही नहीं है। कर्मचारियों को ट्रेंड करके भेजा जायेगा। कोई घर वाला नहीं बतायेगा तो पड़ोस वाला बता देगा कि वह कौन जाति का है। कोई ये कहे कि पिछली दफे यानि 2011 के सोशियो-इकोनॉमिक सर्वे में परेशानी आयी थी इसलिए इस दफे भी जातिगत जनगणना में मुश्किल आयेगी ये बात ठीक नहीं है। हम इसे कतई सही नहीं मान सकते।”
BJP से तलाक से नीतीश का इनकार नहीं
पत्रकारों ने नीतीश से सवाल पूछा-क्या आप बीजेपी से संबंध तोड़ लेंगे. नीतीश का जवाब सारी बातें स्पष्ट कर देने वाला था. नीतीश ने कहा-अभी हम आपस में(जेडीयू के भीतर) बात करेंगे. फिर सारे दलों के लोगों से बात करेंगे औऱ तब आगे क्या करना है ये तय करेंगे. यानि अब तक जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन को अटूट बताने वाले नीतीश कुमार ने एक बार भी नहीं कहा कि बीजेपी से उनका रिश्ता नहीं टूटेगा.
तेजस्वी-कांग्रेस से बात कर फैसला लेंगे?
नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना पर मीडिया से बात करते हुए कई बार कहा कि वे सभी दलों से फिर से बात करेंगे. उनसे बात करके फैसला लेंगे. सभी दलों में से एक प्रमुख दल यानि बीजेपी ने तो जातिगत जनगणना नहीं कराने के फैसले का एलान कर दिया. फिर दूसरे कौन से दल बाकी बचते हैं जिनसे बात कर नीतीश कुमार फैसला लेंगे. जाहिर है वे दल राजद औऱ कांग्रेस ही हैं. नीतीश कुमार का आशय यही था कि वे राजद-कांग्रेस से बात कर फैसला लेंगे.
इससे पहले भी वे जातिगत जनगणना के बहाने लोगों को ये मैसेज दे रहे हैं कि वे राजद को ज्यादा से ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. जातिगत जनगणना पर शुरू में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों का प्रतिनिधिमंडल नीतीश कुमार से मिलने गया था. वहां तेजस्वी ने नीतीश से जो भी मांग रखी , नीतीश ने उसे तत्काल मानने का एलान भी कर दिया. जब बिहार के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने गया था तब भी नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए यही कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को बताया है कि तेजस्वी यादव के कहने पर वे औऱ बिहार के बाकी दलों का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने आय़ा है.
तलाक के लिए कुछ वक्त लेंगे नीतीश
हालांकि नीतीश कुमार बीजेपी से तुरंत संबंध तोड लेगें इसमें थोडा संदेह है. नीतीश कुमार को जानने वाले जानते हैं कि वे मुख्यमंत्री की कुर्सी को दांव पर लगाकर कोई काम नहीं करेंगे. लिहाजा वे कुछ समय लेंगे. इसकी भनक भी उनके बयान से ही मिली. नीतीश ने कहा कि वे एक बार फिर केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि वह जातिगत जनगणना कराये. इसके लिए वे फिर से बात भी करेंगे. जाहिर है इस प्रोसेस में थोडा वक्त लगेगा औऱ नीतीश को आने वाले दिनों की रणनीति तैयार करने का मौका मिलेगा.
जेडीयू के एक नेता ने बताया कि अब पूरी कोशिश होगी कि इस बीच राजद को मनाया जाये. सूत्र बताते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव के तत्काल बाद भी लालू-तेजस्वी से संपर्क साधा गया था. लेकिन तेजस्वी अड़ गये थे कि वे नीतीश के साथ नहीं जायेंगे. नीतीश विधानसभा चुनाव के बाद से ही मन बना कर बैठे हैं कि वे बीजेपी को सबक सिखायेंगे. दरअसल उन्हें लग रहा है कि बीजेपी ने धोखेबाजी करके चिराग को मोहरा बनाया औऱ जेडीयू को तीसरे नंबर की पार्टी बना दी.
जेडीयू के सूत्र बताते हैं कि कुछ दिनों पहले नीतीश के एक सिपाहसलार ने दिल्ली में शऱद यादव से मुलाकात की थी. उससे कुछ दिनों पहले लालू यादव शऱद यादव के घऱ जाकर मिले थे. हम आपको बता दें कि शऱद यादव वही कड़ी हैं जिन्होंने 2014 में नीतीश औऱ लालू को एक करा दिया था. नीतीश औऱ उनके सिपाहसलारों की फौज इस उम्मीद में है कि शऱद यादव मध्यस्थता करा कर एक बार फिर 2014 वाली स्थिति ला देंगे.
कुल मिलाकर हम इतना कह सकते हैं कि आने वाले दिनों में बिहार की पॉलिटिक्स दिलचस्प होगी। नीतीश कुमार का आकलन ये है कि जातिगत जनगणना पर बीजेपी पर निशाना साध कर वे पिछड़े औऱ अति पिछड़े वोट को उससे दूर कर देंगे। इससे 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी की संभावनाओं पर ग्रहण लग जायेगा। तात्कालिक असर तो ये होगा कि 5-6 महीने बाद होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीजेपी औंधें मुंह गिरेगी। नीतीश बिहार विधानसभा चुनाव का बदला लेने के लिए बेकरार हैं औऱ ये बेकरारी बिहार की सियासत को आने वाले दिनों में दिलचस्प ही नहीं बहुत दिलचस्प बनायेगी।