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उपचुनाव को लेकर सरकार ने आनंद मोहन के जेल में कराई छापेमारी? उनके खिलाफ एक और केस दर्ज, रिहाई की बची-खुची उम्मीद भी खत्म

1st Bihar Published by: Updated Mon, 25 Oct 2021 08:09:02 PM IST

उपचुनाव को लेकर सरकार ने आनंद मोहन के जेल में कराई छापेमारी? उनके खिलाफ एक और केस दर्ज, रिहाई की बची-खुची उम्मीद भी खत्म

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SAHARSA: सहरसा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आनंद मोहन के सेल में सरकार ने छापेमारी की है। छापेमारी के बाद आनंद मोहन के खिलाफ एक औऱ मामला दर्ज कराने का आदेश जारी कर दिया गया है. सरकार कह रही है कि सहरसा जेल में हुई छापेमारी में आनंद मोहन के पास से चार मोबाइल बरामद हुए हैं. सहरसा जेल में हुई इस छापेमारी के तार बिहार की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उप चुनाव से जुड़ रहे हैं. आनंद मोहन की पत्नी औऱ बेटे की राजद के पक्ष के मोर्चाबंदी के बाद सहरसा में छापेमारी हुई और नतीजा ये निकल रहा है कि आनंद मोहन की जेल से रिहाई की सारी उम्मीदें खत्म हो गयी हैं


सहरसा जेल में छापेमारी

दिलचस्प बात ये है कि जेल में हुई छापेमारी औऱ बरामदगी को सरकारी स्तर पर ज्यादा प्रचारित करने परहेज किया गया. लेकिन सहरसा के जिला जनसंपर्क पदाधिकारी ने जिले के पत्रकारों को प्रेस विज्ञप्ति जारी किया. प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सहरसा के डीएम ने स्पेशल टीम भेजकर जेल में छापेमारी करायी. छापेमारी में आनंद मोहन के पास से चार मोबाइल मिले, वहीं दो अन्य कैदियों के पास से भी दो मोबाइल बरामद किये गये हैं. सरकारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक जिनके पास से भी मोबाइल बरामद हुए हैं उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया जायेगा. यानि आनंद मोहन पर एक औऱ मामला दर्ज होगा.


रिहाई की उम्मीदें समाप्त

आनंद मोहन गोपालगंज के पूर्व जिलाधिकारी जी. कृष्णैया हत्याकांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. कानून के मुताबिक आजीवन कारावास की सजा काटने वाले कैदी को उसके अच्छे आचरण को देखते हुए सरकार का परिहार बोर्ड कैद का नियत समय पूरा होने के बाद रिहा कर सकता है. दो साल पहले जेडीयू के नेताओं ने पटना में महाराणा प्रताप समारोह आय़ोजित किया था. उस कार्यक्रम में नीतीश कुमार खुद मौजूद थे. उनके सामने ही आनंद मोहन की रिहाई की मांग उठी. तब जेडीयू नेताओं ने ये आश्वासन दिया था कि उनकी रिहाई के लिए प्रक्रिया शुरू की जायेगी. लेकिन आनंद मोहन पर फिर एक मुकदमा हुआ है. अच्छा आचरण का मामला ही समाप्त हो गया औऱ इसके साथ ही रिहाई के सारे रास्ते भी बंद हो गये हैं.


सहरसा में आनंद मोहन समर्थकों ने जेल में हुई छापेमारी के खिलाफ प्रदर्शन भी किया है. उनका आरोप है कि जेल में छापेमारी ही इसलिए की गयी कि आनंद मोहन की रिहाई के सारे रास्ते बंद हो जायें. आनंद मोहन समर्थकों का आरोप है कि सरकार ने सोंची समझी रणनीति के तहत आनंद मोहन के वार्ड में छापेमारी की. इसका आदेश उपर से आय़ा था.


क्यों हुई आनंद मोहन के जेल में छापेमारी

दरअसल सहरसा जेल में हुई छापेमारी के तार सीधे बिहार में विधानसभा की दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव से जुड़े हैं. नीतीश कुमार के लिए इन दोनों सीटों पर हो रहा उप चुनाव जीवन मरण का सवाल बन गया है. उधर इस उप चुनाव में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद औऱ बेटे चेतन आनंद ने राजद के लिए जी-जान लगा दिया है. दोनों लगातार विधानसभा क्षेत्र में कैंप कर रहे हैं. उधर, खबर ये आ रही थी कि आनंद मोहन खुद भी लोगों को फोन कर राजद को वोट देने को कह रहे थे. हालाकि इसकी पुष्टि नहीं हो पायी लेकिन सरकार में बेचैनी थी. कुशेश्वर स्थान हो या तारापुर, दोनों विधानसभा क्षेत्रों में आनंद मोहन की अच्छी पकड है. आनंद मोहन औऱ उनकी पत्नी-बेटे की मोर्चाबंदी से सरकार में बौखलाहट थी. इसके बाद ही सहरसा जेल में छापेमारी की गयी.