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1st Bihar Published by: Updated Thu, 23 Sep 2021 07:43:42 AM IST
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PATNA : जनता दल यूनाइटेड के अंदर लव-कुश समीकरण को मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भले ही उपेंद्र कुशवाहा के चेहरे पर भरोसा करते हो लेकिन कुशवाहा समाज से आने वाले दूसरे नेताओं को उपेंद्र कुशवाहा का चेहरा पसंद नहीं है। यही वजह है कि प्रदेश कुशवाहा राजनीतिक मंच के सम्मेलन में संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को दरकिनार कर दिया गया। पटना में इस मंच की बैठक बुधवार को आयोजित की गई। इसमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा के अलावे उनके समाज से आने वाले दूसरे जेडीयू के नेता भी शामिल हुए लेकिन उपेंद्र कुशवाहा इसमें मौजूद नहीं रहे।
कुशवाहा राजनीतिक मंच के बैनर तले हुई इस बैठक में उमेश सिंह कुशवाहा के अलावे जेडीयू से जुड़े अन्य नेता जब शामिल हुए तो कुशवाहा समाज को मजबूत बनाने और राजनीतिक तौर पर उसे धोखा ना मिले इसके लिए रणनीति तैयार की गई। बैठक में उमेश कुशवाहा ने इतना तो जरूर कहा कि नीतीश कुमार उनके समाज के विकास को लेकर गंभीर हैं लेकिन उपेंद्र कुशवाहा के नाम की चर्चा तक के किसी ने नहीं की। इस सम्मेलन में मंत्री जयंत राज के अलावा सांसद संतोष कुशवाहा, महाबली सिंह भी मौजूद रहे। आरसीपी सिंह के करीबी माने जाने वाले और उनके स्टाफ अभय कुशवाहा भी इस बैठक में शामिल हुए। पिछले चुनाव के वक्त हाशिए पर जा चुके बिहार सरकार की पूर्व मंत्री मंजू वर्मा से लेकर कृषनंदन वर्मा तक इस बैठक के में मौजूद थे। श्रीभगवान सिंह कुशवाहा, पूर्व विधायक रामसेवक सिंह कुशवाहा के अलावे अन्य नेताओं ने बैठक में शामिल होकर रणनीति बनाई।
सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा है कि उमेश सिंह कुशवाहा ने इस राजनीतिक मंच के सम्मेलन में मुख्य भूमिका निभाई। दरअसल सियासी जानकार यह मानते हैं कि उमेश सिंह कुशवाहा को अपनी कुर्सी पर खतरा नजर आ रहा है। जेडीयू अध्यक्ष की कुर्सी पर ललन सिंह के बैठने के बाद पार्टी में कई तरह के बदलाव देखने को मिले हैं। ललन सिंह लगातार जेडीयू में संगठन की समीक्षा कर रहे हैं। आरसीपी सिंह के करीबी माने जाने वाले नेताओं को पहले ही साइडलाइन किया जा चुका है और अब संगठन में प्रदेश के अंदर भी बदलाव की उम्मीद है। ऐसे में उमेश सिंह कुशवाहा को यह लगता है कि उन्हें भी आने वाले वक्त में साइडलाइन किया जा सकता है। इसी आशंका की वजह से उमेश कुशवाहा अपने को राजनैतिक तौर पर मजबूत दिखाने की कोशिश करने हैं। इस बैठक में ज्यादातर नेता ऐसे थे जो पहले तो राजनीतिक तौर पर मजबूत रहे हैं लेकिन इन दिनों हाशिए पर हैं। इतना ही नहीं उपेंद्र कुशवाहा और उमेश कुशवाहा के बीच 36 का आंकड़ा पहले से रहा है। उमेश सिंह कुशवाहा के ऊपर विधायक रहते जो आरोप लगे हैं उसमें उपेंद्र कुशवाहा के एक पुराने कार्यकर्ता की हत्या का मामला भी शामिल रहा है। उपेंद्र कुशवाहा के रूप में शामिल होने के बाद से उमेश कुशवाहा की उनकी दूरी भी जग जाहिर है। ऐसे में कुशवाहा राजनीति के जरिए अपनी राजनीति को उमेश कुशवाहा बरकरार रखना चाहते हैं।