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उत्तर प्रदेश से आये राज्यपाल ने पहला कुलपति भी UP से ही ढ़ूढ़ा, गोरखपुर के राजेंद्र प्रसाद बने मगध विश्वविद्यालय के VC

1st Bihar Published by: Updated Thu, 26 Sep 2019 08:57:14 PM IST

उत्तर प्रदेश से आये राज्यपाल ने पहला कुलपति भी UP से ही ढ़ूढ़ा, गोरखपुर के राजेंद्र प्रसाद बने मगध विश्वविद्यालय के VC

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PATNA : मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए सरकारी तंत्र को बिहार में कोई योग्य उम्मीदवार नहीं मिला. इसे संयोग कहें या कुछ और. उत्तर प्रदेश से आये राज्यपाल ने अपने हाथों कुलपति की पहली नियुक्ति उत्तर प्रदेश के ही शिक्षक की ही की. तकरीबन एक साल से खाली पड़े मगध विश्वविद्यालय के कुलपित पद पर उत्तर प्रदेश के प्रो राजेंद्र प्रसाद को कुलपति बनाया गया है. 

कौन हैं प्रो राजेंद्र प्रसाद
प्रो राजेंद्र प्रसाद दीनदयाल यूनवर्सिटी गोरखपुर में रक्षा अध्ययन विभाग के शिक्षक रहे हैं. 2014 में उत्तर प्रदेश की सरकार ने उन्हें उस यूनिवर्सिटी का कुलपति भी बनाया था. उसके बाद प्रो राजेंद्र प्रसाद को 2016 में इलाहाबाद राज्य विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया. फिलहाल ये विश्वविद्यालय प्रो राजेंद्र सिंह रज्जू भय्या यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है. प्रो राजेंद्र प्रसाद इस विश्वविद्यालय के पहले कुलपति रहे हैं.

तकरीबन एक साल से खाली पड़ा था MU के VC का पद
पिछले साल दिसंबर में ही तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन ने मगध विश्वविद्यालय के कुलपति कमर अहसन को इस्तीफा देने को कहा था. कमर हसन के इस्तीफे के बाद विश्वविद्यालय का प्रभार प्रति कुलपति कार्यानंद पासवान को दिया गया था. इस साल मई में प्रति कुलपति को भी इस्तीफा देने को कह दिया गया था. इसके बाद से विश्वविद्यालय अतिरिक्त प्रभार में चल रहा था. 

8 महीने  से चल रही थी कुलपति नियुक्ति की प्रक्रिया
मगध विवि के कुलपति पद की नियुक्ति प्रक्रिया 8 महीने से चल रही थी. कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए पहली दफे 15 फरवरी 2019 तक आवेदन मांगे गए थे. 100 से अधिक आवेदन राजभवन के पास आये. उन्हें शार्टलिस्ट करने के बाद चुनिंदा लोगों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, लेकिन सर्च कमेटी को कोई दावेदार पसंद नहीं आया लिहाजा किसी के नाम का भी चयन नहीं किया. लिहाजा फिर से कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे गये.  सूबे के विवि के इतिहास में शायद यह पहली बार ऐसा हुआ कि रिजेक्शन के बाद कुलपति पद के लिए दोबारा आवेदन मांगे गए. दोबारा जब प्रक्रिया शुरू हुई तो उत्तर प्रदेश वाले प्रो राजेंद्र प्रसाद कुलपति चुन लिये गये.