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वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा, UV-RAYS और विटामिन से करेंगे कोरोना का खात्मा

1st Bihar Published by: Updated Mon, 01 Jun 2020 03:40:16 PM IST

वैज्ञानिकों ने किया बड़ा दावा, UV-RAYS और विटामिन से करेंगे कोरोना का खात्मा

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DESK : जब से कोरोना वायरस ने दुनियाभर के लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू किया तभी से इस संक्रामक बीमारी को रोकने और इलाज ढूंढ़ने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक शोध करने में जुटे हैं. कई देश ये दवा भी कर रहे हैं की उन्होंने कोरोना की वैक्सीन बना ली है. पर इन खबरों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. इन सब खबरों के बीच आज फिर से एक खबर आई है कि इंसानी शरीर में कोरोना वायरस को कम करने को लेकर अमेरिकी वैज्ञानिकों को एक बड़ी उपलब्धि मिली है. वैज्ञानिकों ने इस बार सूरज की पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet Rays) और एक विटामिन की मदद से इंसानो को कोरोना वायरस के प्रभाव से बचा लेने का दवा किया है.

दरअसल, अमेरिका की कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने प्लाज्मा और रक्त उत्पादों में कोरोना की मात्रा घटाने का तरीका खोज लिया है. इनका कहना है कि कोरोना वायरस को विटामिन राइबोफ्लेविन (Riboflavin) और पराबैंगनी किरणों (UV-Rays) के संपर्क में लाने से ये वायरस कम हो जाता हैं.

अमेरिकी वैज्ञानिकों का दवा है कि वो विटामिन राइबोफ्लेविन और पराबैंगनी किरणें मिलकर कर मानव प्लाज्मा और रक्त उत्पादों जैसे रेड ब्लड सेल, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि से कोरोना वायरस की मात्रा को कम कर देते हैं. यह एक ऐसी उपलब्धि है जो रक्त चढ़ाने के दौरान वायरस के प्रसार की आशंका को घटाने में मददगार साबित हो सकती है. वैज्ञानिकों ने कहा कि यह अभी पता नहीं चल सका है कि कोरोना या सार्स सीओवी-2 रक्त चढ़ाने से फैलता है या नहीं.  वैज्ञानिकों ने प्लाज्मा के 9 और 3 रक्त उत्पादों के इलाज के लिए मिरासोल पैथोजन रिडक्शन टेक्नोलॉजी सिस्टम नामक उपकरण को विकसित किया. 

इस अध्ययन की सह-लेखिका इजाबेला रगान ने कहा कि "उन्होंने वायरस की बड़ी मात्रा को घटाया है. विटामिन राइबोफ्लेविन और पराबैंगनी किरणों की वजह से वायरस खत्म हो गया था. हमें प्लाज्मा में वो दोबारा नहीं मिला. इस अध्ययन की सह-लेखिका इजाबेला रगान ने कहा कि "उन्होंने वायरस की बड़ी मात्रा को घटाया है. विटामिन राइबोफ्लेविन और पराबैंगनी किरणों की वजह से वायरस खत्म हो गया था. हमें प्लाज्मा में वो दोबारा नहीं मिला. शोध के वरिष्ठ लेखक रे गुडरिच द्वारा बनाया गया यह उपकरण रक्त उत्पाद या प्लाज्मा को UV-Ray  किरणों के संपर्क में लाकर काम करता है. इससे पहले इस उपकरण का 1980 के दशक में HIV मामलों के इलाज में काम आया था.