DESK: ये बिहार की सियासत में तूफान मचाने वाली खबर है। जातिगत जनगणना के जिस मसले को लालू-तेजस्वी से लेकर नीतीश कुमार ने सबसे बड़ा मुद्दा बना रखा था। उस पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर अपना रूख साफ कर दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। हलफनामा में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दे। केंद्र सरकार ने कहा है कि उसने “Conscious Policy Decision” यानि सोंच समझ कर नीतिगत फैसला लिया है कि 2021 की जनगणना में अनुसूचित जाति औऱ जनजाति तबके के अलावा किसी औऱ जाति या समूह की गणना नहीं की जायेगी।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई चल रही है। जातिगत आंकड़े से जुडी इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। 23 सितंबर यानि आज इस मामले की सुनवाई हुई। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की है। उसने जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र की सरकार के स्टैंड को एक बार फिर क्लीयर कर दिया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय औऱ अधिकारिता विभाग ने केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है। इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा।
केंद्र सरकार ने फिर कहा-हमने पहले ही ले लिया है फैसला
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामा में कहा गया है कि सरकार ने पिछले साल यानि 7 जनवरी 2020 को ही 2021 के जनगणना को लेकर अधिसूचना जारी की थी। उसमें स्पष्ट है कि कौन से आंकड़े इकट्ठा किये जायेंगे। इस अधिसूचना में स्पष्ट है कि 2021 की जनगणना में सिर्फ अनुसूचित जाति औऱ जनजाति के बारे में आंकड़े एकत्र किये जायेंगे। इसमें किसी खास जाति की गणना का कोई जिक्र नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट जातिगत जनगणना का आदेश नहीं दे
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर जवाब में कहा है कि 2021 की जनगणना में एससी-एसटी के अलावा किसी औऱ जाति की जानकारी नहीं लेने का फैसला केंद्र सरकार का सजग होकर लिया गया नीतिगत फैसला (conscious policy decision) है. इसलिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह जनगणना विभाग को 2021 की जनगणना में पिछड़े तबके के सामाजिक-आर्थिक डेटा की गणना शामिल करने का आदेश जारी न करे. केंद्र सरकार ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट कोई ऐसा आदेश जारी करता है तो “यह एससी-एसटी अधिनियम की धारा 8 के तहत बनाए गए नीतिगत निर्णय में हस्तक्षेप करने के समान होगा.”
क्या है पूरा मामला
जिस मामले में केंद्र सरकार ने ये हलफनामा दायर किया है वह महाराष्ट्र सरकार से जुड़ा है। महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि 2011 की जनगणना में महाराष्ट्र में OBC तबके के बारे में एकत्र किये आंकड़े उसे सौंपे। महाराष्ट्र सरकार ने अपने राज्य के पिछड़ा वर्ग की जनगणना कराने का फैसला लिया था। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि वह केंद्र सरकार को 2011 की जनगणना में पिछडे वर्ग से संबंधित आंकडे उपलब्ध कराने का निर्देश दे। महाराष्ट्र की विधानसभा ने इसी साल एक प्रस्ताव पास कर केंद्र सरकार को कहा था कि वह 2011 की जनगणना के वो आंकडे जारी करे जिससे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग यानि OBC की जनसंख्या पता चल सके। हम आपको बता दें कि 2011 में हुई जनगणना में गडबडी के कारण उसके कई आकंडे केंद्र सरकार ने जारी करने से इनकार कर दिया था।
महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर पिछले 24 अगस्त को ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से तीन हफ्ते में जवाब देने को कहा था. केंद्र सरकार ने कहा कि एससी-एसटी के आंकड़ों के सिवाय किसी OBC या BCC की जनगणना के आंकड़े उपलब्ध कराना संवैधानिक आदेश नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा है कि जनगणना के जरिये जाति का आंकड़ा जानना सही तरीका नहीं है। केंद्र सरकार ने कहा है “ जाति की गणना में कठिनाइयां इतनी ज्यादा हैं कि इससे मूल जनगणना का काम ही विकृत यानि गड़बड़ हो जायेगा. इससे जनगणना के आंकड़ों की बुनियादी अखंडता से समझौते का भी खतरा है।” केंद्र सरकार ने कहा है कि कई हाईकोर्ट के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत जनगणना कराने की मांग को कई दफे ठुकरा दिया है। केंद्र सरकार ने कहा है कि OBC के आकंडे इकट्ठा करने में कई सारी समस्यायें हैं। कई राज्यों में जो जाति OBC में शामिल है वह दूसरे राज्य में एससी यानि अनुसूचित जाति में।
अब क्या करेंगे नीतीश
हम आपको बता दें कि संसद के पिछले सत्र में केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया था कि वह 2021 की जनगणना को जातिगत आधार पर कराने नहीं जा रही है. इसके बाद बिहार में सबसे बडा सियासी घमासान छिड़ गया था. राजद ने सियासी तूफान खड़ा किया तो नीतीश कुमार उससे एक कदम आगे निकलने की होड में लग गये थे. नीतीश कुमार ने खुद प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी. उनके सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर जातिगत जनगणना की मांग की और फिर नीतीश कुमार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने चले गये. नीतीश कुमार बार-बार ये कह रहे थे कि प्रधानमंत्री ने उनकी बातें बहुत गंभीरता से सुनी है औऱ वे उचित फैसला लेंगे. नीतीश कह रहे थे कि प्रधानमंत्री के फैसले के बाद वे आगे का कदम उठायेंगे.
लेकिन एक बार फिर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ये स्पष्ट कर दिया है कि वह 2021 की जनगणना में जातिगत आंकडा नहीं जुटायेगी. यानि जाति के आधार पर जनगणना नहीं होगी. उधर नीतीश कुमार और उनकी पार्टी इस मसले को अपना सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर बैठी है. तो क्या ये समझा जाना चाहिये कि नीतीश कुमार अब निर्णायक फैसला लेंगे. क्या नीतीश कुर्सी छोड़ने की स्थिति में हैं? या फिर वे बीच का रास्ता निकालेंगे. ये देखने की बात होगी.