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BCCI को है पैसे से मतलब, चाइनीज स्पॉन्सर हटाने को नहीं है तैयार

1st Bihar Published by: Updated Fri, 19 Jun 2020 11:54:13 AM IST

BCCI को है पैसे  से मतलब, चाइनीज स्पॉन्सर हटाने को नहीं है तैयार

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DESK : देश की बहुचर्चित क्रिकेट इवेंट आईपीएल पर संकट गहराता जा रहा है. पहले ही कोरोना महामारी के कारण इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया है. पर अब एक नए विवाद ने आईपीएल को मुसीबत में डाल दिया है.  नया  विवाद आईपीएल के स्पॉन्सरशिप को लेकर है. जैसा की आप जानते हैं VIVO आईपीएल को  स्पॉन्सर करने वाली है. इस चाइनीज कंपनी का करार बीसीसीआई के साथ 2022 तक का है. ऐसे में देश में अभी जो हालत है उसमे इस करार को लेकर विवाद होना शुरू हो गया है. 


एक ओर  गालवान घाटी में भारत चीन सीमा पर जो कुछ हुआ उसके बाद से लोगों में चीन का विरोध करना शुरू कर दिया है. पिछले 40 सालों में भारत-चीन सीमा पर पहली बार हिंसक झड़प में  20 भारतीय सैनिक मारे गए. ऐसे में, लोगों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए सोशल मीडिया पर जमकर कैंपेन चलाना  शुरू कर दिया है. भारत सरकार ने भी 4G सेवा के लिए प्रयोग होने वाले उपकरणों के सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल पर रोक लगा दी है साथ ही भारतीय रेल ने चीन के साथ 471 करोड़ा का करार रद्द कर दिया है. वहीं बीसीसीआई इस विरोध के बावजूद  आईपीएल के स्पॉन्सरशिप को रद्द करने को तैयार नहीं है .


इस  विवाद पर बीसीसीआई बोर्ड के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने आईपीएल के स्पॉन्सरशिप पर उठ रहे सवाल पर जवाब देते हुए कहा है कि - बीसीसीआई अगले चक्र के लिए अपनी स्पॉन्सरशिप नीति की समीक्षा करने के लिए खुला है, लेकिन वर्तमान आईपीएल टाइटल स्पॉन्सर वीवो के साथ अपने संबंध को समाप्त करने की बोर्ड की कोई योजना नहीं है क्योंकि चीनी कंपनी से आने वाला पैसा भारत की अर्थव्यवस्था की मदद कर रहा है.


बीसीसीआई कोषाध्यक्ष ने कहा कि, 'जज्बाती तौर पर बात करने से तर्क पीछे रह जाता है. हमें समझना होगा कि हम चीन के हित के लिए चीनी कंपनी के सहयोग की बात कर रहे हैं या भारत के हित के लिए चीनी कंपनी से मदद ले रहे हैं. जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं, तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिए दे रहे हैं और बोर्ड भारत सरकार को 42 फीसदी टैक्स चुका रहा है’. धूमल ने आगे कहा कि “ जब तक ये चीनी कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं तब तक कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि इस पैसे को वापस चीन ले जाने की संभावना बिल्कुल नहीं है. अगर वह पैसा यहां बरकरार है, तो हमें इसके बारे में खुश होना चाहिए. हम उस पैसे से  कर अदा करके हमारी सरकार का समर्थन कर रहे हैं.''