ब्रेकिंग न्यूज़

NEET पास कराने का झांसा देकर करोड़ों की ठगी, 3 दलाल को STF ने दबोचा Bihar Politics: ‘बिहार में बनेगी महागठबंधन की सरकार’ पटना में बैठक के बाद मुकेश सहनी का बड़ा दावा बड़हरा की बेटी सोनाली सिंह ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में बढ़ाया कदम, आत्मनिर्भर बनने के लिए किया प्रेरित Pahalgam Attack: पाकिस्तान के खिलाफ भारत का एक और स्ट्राइक, बगलिहार बांध से चिनाब नदी का पानी रोका Pahalgam Attack: पाकिस्तान के खिलाफ भारत का एक और स्ट्राइक, बगलिहार बांध से चिनाब नदी का पानी रोका शराब के बाद गांजा तस्करी के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे धंधेबाज, एम्बुलेंस से 78 kg गांजा बरामद, 3 तस्कर गिरफ्तार महज 11 साल की उम्र में जीजा से शादी, 12 साल बाद देवर से हो गया प्यार; दिलचस्प है कहानी BIHAR NEWS: सहरसा रेलवे यार्ड में बड़ा हादसा, इंजन सेंटिंग के दौरान दो पॉइंट्समैन घायल Bihar Crime News: बाइक सवार युवक की पीट-पीटकर हत्या, पुरानी रंजिश में वारदात को अंजाम देने की आशंका साइबर फ्रॉड या तकनीकी गड़बड़ी? : किसान के खाते में अचानक आए 10 नील 1 खरब 35 अरब 60 करोड़ 13 लाख 95 हजार रुपये से अधिक राशि

Tejashwi Yadav: तेजस्वी यादव की क्या है पांच बड़ी मांगें...वंचितों के लिए सामाजिक न्याय की नई परिभाषा या महज़ चुनावी चाल?

तेजस्वी यादव की पांच प्रमुख मांगों ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। सामाजिक न्याय, प्रतिनिधित्व और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने जैसे मुद्दों को उठाकर उन्होंने 2025 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक पिच तैयार कर ली है |

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 04 May 2025 03:15:32 PM IST

तेजस्वी यादव, सामाजिक न्याय, आरक्षण, विशेष राज्य का दर्जा, बिहार चुनाव 2025, Tejashwi Yadav, Bihar Politics, Mandal Commission, Reservation in Judiciary, Private Sector Reservation, Special State Stat

तेजस्वी की वंचितों के लिए बड़ी मांग - फ़ोटो Google

Tejashwi Yadav: बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर राज्य के सामाजिक और आर्थिक पुनर्गठन की दिशा में पांच अहम माँगों को लेकर केंद्र की नरेन्द्र मोदी की सरकार पर दबाव बनाया है। 


हाल ही में उन्होंने एक पत्र प्रधानमंत्री मोदी को लिखा साथ ही कुछ दिन पहले  पटना में आयोजित एक जनसभा में उन्होंने अति पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र, निजी क्षेत्र में आरक्षण, न्यायपालिका में आरक्षण, मंडल आयोग की लंबित सिफारिशों को लागू करने तथा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की पुरजोर वकालत की।


सामाजिक प्रतिनिधित्व को लेकर गंभीर सवाल

सबसे पहले तेजस्वी यादव ने अति पिछड़ा वर्ग  के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र के निर्माण की मांग करते हुए कहा कि  30% से अधिक आबादी वाले अति पिछड़ों के लिए क्यों नहीं?” यह मांग, हालांकि सामाजिक न्याय की दृष्टि से तार्किक प्रतीत होती है, मगर संवैधानिक रूप से इसे लागू करने के लिए संविधान में संशोधन की आवश्यकता होगी।


निजी क्षेत्र में आरक्षण: अवसरों का पुनर्वितरण या प्रतिस्पर्धा पर चोट?

इसके बाद उन्होंने निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग करते हुए आर्थिक और सामाजिक दुरिया को पाटने  की बात की। उन्होंने कहा, “जब सरकारी नौकरियों में आरक्षण संभव है, तो निजी कंपनियाँ क्यों पीछे रहें?” यह मांग नई नहीं है, किंतु इसे लागू करने के लिए केंद्र सरकार को एक राष्ट्रीय नीति तैयार करनी होगी, जो वर्तमान में उद्योग जगत और नीति निर्माताओं के बीच गंभीर बहस का मुद्दा  है।


न्यायपालिका में सामाजिक न्याय का सवाल

तेजस्वी यादव ने यह भी मांग की कि उच्च न्यायपालिका में भी अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्गों को आरक्षण मिलना चाहिए। अभी तक सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में नियुक्तियाँ कोलेजियम प्रणाली के तहत होती हैं, जो केवल एक दायरे पर आधारित है। इस व्यवस्था में सामाजिक प्रतिनिधित्व की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि न्यायपालिका में आरक्षण की मांग संवैधानिक स्वतंत्रता बनाम सामाजिक समानता की गड़े हुए मुद्दे को जिन्दा करने की पुरजोर कोशिश की है| 


मंडल आयोग की अधूरी क्रांति

तेजस्वी ने मंडल आयोग की लंबित सिफारिशों को लागू करने की भी पुरजोर वकालत की। उन्होंने कहा कि “27% आरक्षण देने के बाद भी मंडल की कई प्रमुख सिफारिशें आज तक लागू नहीं की गईं।” गौरतलब है कि 1980 में गठित मंडल आयोग ने सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की सिफारिश की थी। तेजस्वी की यह मांग  सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना को सार्वजनिक करने और उसी आधार पर नई आरक्षण नीति लागू करने की ओर  बात करती है।


बिहार को विशेष राज्य का दर्जा: हकीकत या चुनावी दाव?

सबसे अहम मांग रही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की। तेजस्वी का तर्क है कि बिहार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति, प्राकृतिक संसाधनों की कमी और विकास की चुनौती को देखते हुए यह दर्जा उसे मिलना चाहिए। परंतु विशेषज्ञों का मानना है कि 14वें वित्त आयोग के बाद विशेष राज्य के दर्जे की अवधारणा समाप्त हो चुकी है। अब सभी राज्यों को 'राज्य विशेष सहायता' के माध्यम से आर्थिक सहयोग मिलता है, जिसमें बिहार पहले से शामिल है।


हालांकि, एनडीए के नेताओं ने इन मांगों को चुनावी हथकंडा बताया है।  उनका तर्क है कि तेजस्वी यादव हर चुनाव से पहले इसी तरह के मुद्दों को हवा देते हैं ताकि वंचित वर्गों को साधा जा सके। यही वजह है कि यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या ये मांगें वास्तव में लागू करने की   मंशा से उठाई गई हैं या फिर 2025 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर रणनीतिक रूप से पेश की गई हैं।