भीष्म अष्टमी: पितामह भीष्म की महानता और इच्छा मृत्यु का वरदान

भीष्म अष्टमी हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखने वाला पर्व है, जो माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह दिन महाभारत के महान योद्धा पितामह भीष्म के शरीर त्याग और उनके पितृ भक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 04 Feb 2025 06:23:41 AM IST

Bhishma Ashtami

Bhishma Ashtami - फ़ोटो Bhishma Ashtami

Bhishma Ashtami: माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। यह दिन महाभारत के महान योद्धा पितामह भीष्म के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने इस दिन अपने शरीर का त्याग किया था। साथ ही, इस दिन पितरों के तर्पण और पिंडदान से पितृ दोष से मुक्ति की भी मान्यता है।


भीष्म पितामह का त्याग और पुण्य

भीष्म अष्टमी का महत्व इसलिए भी है कि इस दिन पितामह भीष्म ने महाभारत के युद्ध के दौरान अपने प्राणों का त्याग किया था। जब अर्जुन के बाणों से पितामह घायल हो गए थे, तब भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने तक जीवन को ढ़ोने का संकल्प लिया था। उनका शरीर सूर्य के उत्तरायण होने के बाद ही छोड़ सका, और माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को उन्होंने अंतिम सांस ली थी। इस कारण यह दिन विशेष रूप से उनकी श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।


भीष्म पितामह को किसने दिया था इच्छा मृत्यु का वरदान?

भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान उनके पिता महाराजा शान्तनु ने दिया था। जब पितामह भीष्म ने अपने पिता को सत्यवती से विवाह कराने के लिए आजीवन अविवाहित रहने का वचन लिया था, तब शान्तनु बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने पुत्र देवव्रत को इच्छा मृत्यु का वरदान दे दिया। यह वरदान उन्हें उनके जीवन के उच्चतम आदर्श और पितृ भक्ति के कारण मिला था।


भीष्म अष्टमी पर विशेष योग और पूजा विधि

भीष्म अष्टमी के दिन इस बार कई मंगलकारी शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।


भीष्म अष्टमी के महत्व पर संक्षिप्त चर्चा

भीष्म पितामह का त्याग पितृ भक्ति, बल और धर्म के सर्वोत्तम आदर्श को दर्शाता है।

भीष्म अष्टमी पर तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से पितृ दोष समाप्त होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।


भीष्म अष्टमी एक ऐसा दिन है जब हम पितामह भीष्म के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके आदर्शों को अपनाएं। यह दिन न केवल पितरों की पूजा के लिए बल्कि हमारे स्वयं के जीवन में भी अच्छे कर्मों और पितृ भक्ति के महत्व को समझने का है। इस दिन भगवान विष्णु और पितामह भीष्म की पूजा से जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।