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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 11 Jan 2025 08:07:49 PM IST
गुड़ी पड़वा - फ़ोटो गुड़ी पड़वा
Gudi Padwa 2025: गुड़ी पड़वा का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन से चैत्र नवरात्र का शुभारंभ भी होता है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी, इसलिए इस दिन ब्रह्म देव की पूजा का विशेष महत्व है।
गुड़ी पड़वा की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष गुड़ी पड़वा 30 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।
प्रतिपदा तिथि का समय:
प्रारंभ: 29 मार्च, शाम 04:27 बजे
समाप्ति: 30 मार्च, दोपहर 12:49 बजे
उदया तिथि के अनुसार, पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा।
गुड़ी पड़वा के विशेष योग
इंद्र योग:
30 मार्च को शाम 05:54 बजे से इंद्र योग का शुभारंभ होगा। यह योग विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसमें किए गए कार्य सिद्ध होते हैं और ब्रह्म देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सर्वार्थ सिद्धि योग:
यह योग 30 मार्च को शाम 04:35 बजे से प्रारंभ होकर 31 मार्च को सुबह 06:12 बजे तक रहेगा। इस योग में किए गए शुभ कार्य फलदायी माने जाते हैं।
पंचक का प्रभाव:
हालांकि गुड़ी पड़वा के दिन सुबह 06:13 बजे से शाम 04:35 बजे तक पंचक काल रहेगा। पंचक में कुछ विशेष कार्यों से परहेज किया जाता है।
गुड़ी पड़वा के दिन शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:41 से 05:27
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से 03:19
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:37 से 07:00
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 से 12:50
निशिता मुहूर्त: रात 12:02 से 12:48
गुड़ी पड़वा मनाने की परंपरा
गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों में गुड़ी स्थापित करते हैं। इसे बांस की डंडी पर रेशमी कपड़ा बांधकर, आम के पत्तों और फूलों से सजाया जाता है। गुड़ी को घर के मुख्य द्वार पर लगाया जाता है, जो विजय और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन लोग नए वस्त्र पहनते हैं, पूजा-अर्चना करते हैं और गुड़ व नीम के मिश्रण का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
नववर्ष के स्वागत का संदेश
गुड़ी पड़वा न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें नई ऊर्जा, सकारात्मकता और समृद्धि के साथ जीवन की शुरुआत करने की प्रेरणा देता है।