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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 24 Aug 2025 02:27:48 PM IST
हरतालिका तीज - फ़ोटो GOOGLE
Hartalika Teej 2025: हर साल की आखिरी तीज, यानी हरतालिका तीज, 26 अगस्त 2025 को बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। यह पर्व महिलाओं के अखंड सौभाग्य और दांपत्य सुख का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से व्रत रखती हैं, रात्रि जागरण करती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। हरतालिका तीज को प्रकृति से भी जोड़कर देखा जाता है, क्योंकि सावन के बाद पेड़-पौधों में नई हरियाली आ जाती है।
हरतालिका तीज पर विशेष रूप से 16 प्रकार की पत्तियां शिवलिंग पर चढ़ाई जाती हैं, जिनमें प्रत्येक पत्ती का अपना विशिष्ट महत्व होता है। महिलाएं इन पत्तियों को चढ़ाकर अपने जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य की कामना करती हैं। ये पत्तियों में शामिल है।
बिल्वपत्र : सौभाग्य
शमी के पत्ते : धन और समृद्धि
आम के पत्ते : मंगल कार्य
जातीपत्र : संतान की प्राप्ति
भृंगराज : पराक्रम और शक्ति
सेवंतिका : दांपत्य सुख
अगस्त्य : वैभव और ऐश्वर्य
केले के पत्ते : सफलता
बांस के पत्ते : वंश वृद्धि
देवदार पत्र : ऐश्वर्य और समृद्धि
पान के पत्ते : परस्पर प्रेम और समझदारी
धतूरा : मोक्ष और पाप नाश
चंपा : सौंदर्य और स्वास्थ्य
कनेर के पत्ते : यश और सुख
नीम : सुंदर चरित्र
अशोक के पत्ते : शांति और सुखमय जीवन
इस पर्व पर शिवलिंग पर आमतौर पर पांच प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं, जो आमतौर पर मौसमी होते हैं। इनमें केला, सेब, नाशपाती, पपीता, अनार, और अमरूद प्रमुख हैं। ये फल भी जीवन में समृद्धि और शुभता का प्रतीक माने जाते हैं।
हरतालिका तीज का व्रत निराहार रहकर रखा जाता है। शाम के समय बालू या मिट्टी से शिवलिंग बनाया जाता है। प्रदोष काल से पूजा आरंभ की जाती है और हर प्रहर में शिवलिंग पर 16 प्रकार की पत्तियां क्रम से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में चढ़ाई जाती हैं। पत्तियों को उल्टा (नीचे की ओर) चढ़ाना शुभ माना जाता है, जबकि फूल और फल सीधे (ऊपर की ओर) अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान भजन-कीर्तन और रात्रि जागरण अनिवार्य होता है।
हरतालिका तीज महिलाओं के जीवन में खुशहाली, सौभाग्य और दांपत्य जीवन की सौंदर्यता बढ़ाने वाला पर्व है। इस दिन शिव-शक्ति की पूजा से न केवल उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि प्रकृति की नवीनता और हरियाली भी जीवन में नए उत्साह का संचार करती है। यह पर्व नारी शक्ति की सशक्तता का भी प्रतीक है, जहां महिलाएं अपने परिवार और समाज की खुशहाली के लिए पूरी श्रद्धा से व्रत करती हैं।