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श्री बृजराज स्वामी जी मंदिर, नूरपुर का ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर

हिमाचल प्रदेश के नूरपुर का श्री बृजराज स्वामी जी का मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि अपनी विशिष्टता और ऐतिहासिक महत्व के कारण खासा प्रसिद्ध है। यहां भगवान श्री कृष्ण और मीरा बाई की मूर्तियां स्थापित हैं, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाती हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 25 Jan 2025 07:15:47 AM IST

Shri Brijraj Swami Ji Temple

Shri Brijraj Swami Ji Temple - फ़ोटो Shri Brijraj Swami Ji Temple

Shri Brijraj Swami Ji Temple: हिमाचल प्रदेश के नूरपुर शहर में स्थित श्री बृजराज स्वामी जी का मंदिर क्षेत्रवासियों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी विशिष्टता और ऐतिहासिकता के कारण भी प्रसिद्ध है। श्री कृष्ण और मीरा बाई की अद्वितीय मूर्तियों के कारण यह मंदिर विशेष स्थान रखता है।


मंदिर की विशेषता

श्री बृजराज स्वामी जी का मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ भगवान श्री कृष्ण के साथ राधा रानी नहीं, बल्कि मीरा बाई की मूर्ति स्थापित है। इस कारण मंदिर की प्रसिद्धि न केवल भारत में, बल्कि विश्वभर में फैल चुकी है। मंदिर में स्थापित दोनों मूर्तियाँ इतनी सजीव और जीवंत लगती हैं कि श्रद्धालु मानते हैं कि जैसे भगवान श्री कृष्ण और मीरा बाई उनके सामने खड़े हों।


इस मंदिर में प्रेम और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, खासकर जन्माष्टमी के पावन अवसर पर, जब यहां विशेष रौनक और उत्सव का माहौल होता है। दूर-दूर से भक्तजन इस मंदिर में आते हैं और भगवान श्री कृष्ण तथा मीरा बाई के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।


मंदिर के इतिहास और स्थापना

इस मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा है, जो इसके इतिहास को और भी दिलचस्प बनाती है। 1629 से 1623 ई. के बीच, नूरपुर के राजा जगत सिंह अपने राज पुरोहित के साथ चितौड़गढ़ के राजा के निमंत्रण पर वहां गए। जब राजा जगत सिंह और उनके पुरोहित ने रात्रि विश्राम के लिए एक महल में ठहरने का निर्णय लिया, तो वहां एक मंदिर था। रात के समय, राजा को उस मंदिर से घुंघरुओं और संगीत की आवाजें सुनाई दीं। राजा ने जब मंदिर में झांककर देखा, तो उन्होंने देखा कि एक महिला श्री कृष्ण की मूर्ति के सामने भजन गाते हुए नाच रही थी।


राजा ने इस घटना को अपने पुरोहित से साझा किया, और पुरोहित ने राजा से इन मूर्तियों को उपहार स्वरूप प्राप्त करने का सुझाव दिया। राजा जगत सिंह ने ऐसा ही किया और चितौड़गढ़ के राजा ने खुशी-खुशी वे मूर्तियाँ और मौलश्री का पेड़ उपहार में दे दिया।


मूर्तियों की स्थापना

नूरपुर लौटने पर, राजा जगत सिंह ने इन मूर्तियों को अपने दरबार-ए-खास में स्थापित किया। आज भी इस मंदिर में राजस्थानी शैली की काले संगमरमर से बनी श्री कृष्ण और अष्टधातु से बनी मीरा बाई की मूर्तियाँ श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। मंदिर की भित्तियों पर श्री कृष्ण की लीलाओं का चित्रण दर्शनीय है, जो इस मंदिर को और भी खास बनाता है।


मंदिर का महत्त्व

प्राचीनता और ऐतिहासिकता के साथ-साथ इस मंदिर का धार्मिक महत्त्व भी बहुत अधिक है। श्री बृजराज स्वामी जी मंदिर में हर साल जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन हजारों भक्त मंदिर में आते हैं और भगवान श्री कृष्ण के दर्शन करके अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।


नूरपुर का श्री बृजराज स्वामी जी मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पर्यटकों और भक्तों के लिए भी एक धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है। यहाँ की प्राचीन मूर्तियाँ और मंदिर की भव्यता इस स्थल को विशेष बनाती हैं, और यह श्रद्धालुओं को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करती हैं।


श्री बृजराज स्वामी जी मंदिर नूरपुर का एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर है। इसकी विशिष्टता, प्रेम और भक्ति का प्रतीक होने के कारण यह मंदिर न केवल हिमाचल प्रदेश बल्कि पूरे भारत में प्रसिद्ध है। यहाँ की अद्वितीय मूर्तियाँ और मंदिर की समृद्ध कथा इस स्थान को श्रद्धा और आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाती हैं।