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होलाष्टक 2025: जानें क्यों इस दौरान शुभ कार्य होते हैं वर्जित, क्या करें उपाय

होलाष्टक हिंदू धर्म में एक विशेष अवधि है, जिसे अशुभ माना जाता है। यह समय फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा (होलिका दहन) तक चलता है। इस दौरान ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण शुभ कार्यों पर रोक लगती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 09 Mar 2025 07:26:08 AM IST

Holashtak 2025

Holashtak 2025 - फ़ोटो Holashtak 2025

Holashtak 2025: होलाष्टक हिंदू धर्म में एक विशेष अवधि है, जिसे अशुभ माना जाता है। यह समय फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर पूर्णिमा (होलिका दहन) तक चलता है। इस दौरान ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण शुभ कार्यों पर रोक लगती है, लेकिन धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ का महत्व बढ़ जाता है। 2025 में होलाष्टक 7 मार्च से शुरू होकर 13 मार्च को समाप्त होगा। आइए जानें इस अवधि का महत्व, इसकी मान्यताएं और इससे जुड़े उपाय।


होलाष्टक का महत्व

होलाष्टक के आठ दिनों को हिंदू धर्म में अशुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय कई ग्रह क्रूर अवस्था में होते हैं, जिससे नए कार्यों की शुरुआत में बाधाएं आती हैं। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, सगाई, नया व्यापार शुरू करने और कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है।


होलाष्टक में कौन-कौन से ग्रह रहते हैं अशुभ?

होलाष्टक के आठ दिनों के दौरान हर दिन अलग-अलग ग्रह अपनी क्रूर अवस्था में रहते हैं:

अष्टमी तिथि - चंद्र अशुभ होता है।

नवमी तिथि - सूर्य अशुभ रहता है।

दशमी तिथि - शनि अशुभ प्रभाव डालता है।

एकादशी तिथि - शुक्र की स्थिति अशुभ मानी जाती है।

द्वादशी तिथि - गुरु का प्रभाव क्रूर होता है।

त्रयोदशी तिथि - बुध की स्थिति नकारात्मक मानी जाती है।

चतुर्दशी तिथि - मंगल का प्रभाव अशुभ होता है।

पूर्णिमा तिथि - राहु अपनी अशुभ स्थिति में रहता है।


होलाष्टक में क्या न करें?

विवाह, सगाई, गृह प्रवेश, नई वस्तु की खरीदारी, नए व्यापार की शुरुआत जैसी शुभ गतिविधियों से बचना चाहिए।

इस दौरान वाहन या संपत्ति की खरीद भी वर्जित मानी जाती है।


होलाष्टक में क्या करें?

होलाष्टक का समय भले ही शुभ कार्यों के लिए वर्जित हो, लेकिन इस दौरान धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इस अवधि में इन उपायों को अपनाना लाभकारी हो सकता है:

भगवान विष्णु, शिवजी और हनुमान जी की आराधना करें।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

इस दौरान दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

जरूरतमंदों को भोजन कराना और गौ सेवा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

होलाष्टक के आठ दिन नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करने और आध्यात्मिक शांति के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इस दौरान यदि शुभ कार्य करने से बचा जाए और धार्मिक अनुष्ठान पर ध्यान दिया जाए, तो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।