Bihar News: बिहार के 24 जिलों में बारिश का अलर्ट जारी, बाढ़ का संकट और भी गहराया.. सहरसा में रुई के गोदाम में लगी भीषण आग, दमकल की 4 गाड़ियों ने पाया काबू अरवल में इनोवा कार से 481 लीटर अंग्रेज़ी शराब बरामद, पटना का तस्कर गिरफ्तार Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: कारोबारी की चाकू मारकर हत्या, गले और चेहरे पर 15 से अधिक वार; पैसों के विवाद में हत्या की आशंका Bihar Crime News: बिहार में पेशी के दौरान कोर्ट कैंपस से कैदी फरार, पुलिस ने घर से दबोचा Bihar Crime News: बिहार में पेशी के दौरान कोर्ट कैंपस से कैदी फरार, पुलिस ने घर से दबोचा Bihar Transfer Posting: नीतीश सरकार ने सात अनुमंडल के SDO को हटाया और बनाया डीटीओ, 54 अफसरों को किया गया है इधऱ से उधर Bihar News: नाबार्ड की मदद से बिहार की ग्रामीण सड़कों को मिली नई रफ्तार, गांवों से शहरों की दूरी हो रही कम Bihar News: नाबार्ड की मदद से बिहार की ग्रामीण सड़कों को मिली नई रफ्तार, गांवों से शहरों की दूरी हो रही कम
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 04 Jan 2025 08:44:24 AM IST
Kumbh Mela - फ़ोटो Kumbh Mela
Kumbh Mela: महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं, और इस बार का आयोजन और भी खास होने जा रहा है। महाकुंभ का सबसे प्रतीक्षित पल वह होता है जब अखाड़ों के नागा संन्यासी अपनी आस्था और धर्म की शक्ति को दिखाते हुए एक भव्य पेशवाई (शोभायात्रा) निकालते हैं। इस बार शैव परंपरा के श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े की पेशवाई ने आस्था और संस्कृति के अद्भुत संगम को प्रस्तुत किया है।
महाकुंभ की शाही शोभायात्रा
13 जनवरी 2025 को महाकुंभ का आगाज होने जा रहा है और इस बार की पेशवाई ने इस धार्मिक आयोजन को और भी विशेष बना दिया है। बुधवार को अटल अखाड़े की पेशवाई का आयोजन बक्शी बांध स्थित आश्रम से शुरू हुआ, जो दारागंज की गलियों से होते हुए महाकुंभ छावनी में प्रवेश किया। यह शोभायात्रा महाकुंभ की सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है और श्रद्धालुओं को एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव प्रदान करती है।
पेशवाई में आस्था और संस्कृति का संगम
पेशवाई में सबसे पहले धर्म ध्वजा शान से फहराई गई, जो यात्रा की पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक थी। इसके बाद अखाड़े के आराध्य भगवान गजानंद की पालकी को ट्रैक्टर पर बने रथ पर सवार कर यात्रा में शामिल किया गया। रथ के साथ-साथ अखाड़े के नागा साधु, जो कि घोड़े पर सवार थे और पैदल चल रहे थे, अस्त्र-शस्त्र का प्रदर्शन करते हुए जय घोष करते हुए आगे बढ़े। यह दृश्य हर किसी को मंत्रमुग्ध कर रहा था, क्योंकि ये साधु अपनी पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ यात्रा में शामिल हुए थे।
वेदपाठियों और संत महात्माओं का योगदान
अटल अखाड़े की पेशवाई में जम्मू कश्मीर से आए हुए 200 से ज्यादा वेदपाठी भी शामिल थे, जिन्होंने भगवा झंडे के साथ यात्रा में भाग लिया। ये वेदपाठी पीले रंग के कपड़े पहने हुए थे और उन्होंने भक्ति गीतों की धुन पेश की, जो यात्रा को और भी भव्य बना रहे थे। इसके साथ ही, अखाड़े के संत महात्मा शाही रथों पर चांदी के सिंहासन पर विराजमान थे और छत्र, छड़ी, और चंवर के साथ श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दे रहे थे। सबसे बड़े रथ पर अखाड़े के पीठाधीश्वर, आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी विश्वात्मानंद जी महाराज ने पेशवाई की अगुवाई की और सभी को आशीर्वाद दिया।
श्रद्धालुओं का उमड़ा हुजूम
प्रयागराज की सड़कों पर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा था। लोग संत महात्माओं का दर्शन करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जगह-जगह उनका स्वागत कर रहे थे। फूलों की बारिश करके श्रद्धालुओं ने अखाड़े के संतों का सम्मान किया। यह दृश्य बहुत ही भावुक था, क्योंकि श्रद्धालु महाकुंभ में आने के बाद उनके जीवन में एक नई आस्था और शांति की तलाश में थे।
अटल अखाड़े का महाकुंभ छावनी में प्रवेश
पेशवाई के बाद, अटल अखाड़े के नागा संन्यासी महाकुंभ छावनी में प्रवेश कर गए। यह छावनी महाकुंभ के दौरान अखाड़े का प्रमुख केंद्र बनी रहेगी, जहां साधु महात्मा अपनी कुटिया में धूनी रमाएंगे और भक्तों को दर्शन देंगे। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह एक बहुत ही खास अनुभव होगा क्योंकि उन्हें धार्मिकता और आस्था की वास्तविकता का अनुभव होगा।
महाकुंभ की महिमा
महाकुंभ का आयोजन भारतीय संस्कृति, आस्था, और धर्म का सबसे बड़ा प्रतीक है। यहां पर लाखों श्रद्धालु आते हैं, और नदियों में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं। इस दौरान आयोजित होने वाली पेशवाई, शाही स्नान, और धार्मिक अनुष्ठान विशेष महत्व रखते हैं। महाकुंभ में नागा संन्यासियों की विशेष भूमिका होती है, जो अपनी साधना और तपस्या के माध्यम से श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
महाकुंभ 2025 की पेशवाई और अटल अखाड़े की इस धार्मिक यात्रा ने न केवल एक सांस्कृतिक धरोहर का परिचय कराया बल्कि यह भी दिखाया कि भारतीय धर्म और संस्कृति का एक गहरा जुड़ाव है। यह आयोजन एकता, आस्था, और समर्पण का प्रतीक है, जो श्रद्धालुओं को एक नई ऊर्जा और शांति की अनुभूति कराता है। महाकुंभ के दौरान आयोजित होने वाली हर घटना और परंपरा भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है, जिसे आगे आने वाली पीढ़ियों को संजो कर रखना होगा।