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माघ मास के प्रमुख व्रत और पर्व, जानिए तारीख और महत्व

माघ मास हिंदू कैलेंडर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण महीना होता है, जो धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत विशेष माना जाता है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत और पर्व आते हैं, जिनका विशेष महत्व है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 21 Jan 2025 07:42:35 AM IST

magh month

magh month - फ़ोटो magh month

माघ मास हिन्दू कैलेंडर का एक महत्वपूर्ण महीना होता है, जिसमें कई प्रमुख व्रत और पर्व आते हैं। इस महीने में षट्तिला एकादशी, मौनी अमावस्या, गुप्त नवरात्रि, तिलकुंद चतुर्थी, जया एकादशी और माघी पूर्णिमा जैसे छह बड़े व्रत-पर्व आते हैं। हर व्रत का विशेष महत्व है और इसे खास रीति-रिवाजों से मनाना जाता है। आइए जानते हैं, इस महीने कौन-कौन से व्रत-पर्व हैं और उन दिन कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं।


षट्तिला एकादशी (शनिवार, 25 जनवरी)

षट्तिला एकादशी पर तिल से जुड़ी शुभ क्रियाएं की जाती हैं। इस दिन तिल का सेवन, तिल से स्नान, तिल का दान, तिल से हवन, तिल का उबटन और तिल से तर्पण जैसे काम किए जाते हैं।


मौनी अमावस्या (बुधवार, 29 जनवरी)

इस दिन प्रयागराज के कुंभ में अमृत स्नान होता है। मौनी अमावस्या पर मौन रहकर ध्यान, साधना और पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है।


गुप्त नवरात्रि (गुरुवार, 30 जनवरी)

गुप्त नवरात्रि में देवी सती की दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। इस दौरान तंत्र-मंत्र के माध्यम से देवी को प्रसन्न करने के लिए साधक विशेष अनुष्ठान करते हैं। यह नौ दिन देवी की उपासना और साधना के लिए समर्पित होते हैं।


तिलकुंद चतुर्थी (शनिवार, 1 फरवरी)

तिलकुंद चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है और तिल से जुड़ी शुभ क्रियाएं की जाती हैं। इस दिन विशेष रूप से तिल के लड्डू का भोग भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है और तिल का दान भी करना चाहिए।


जया एकादशी (शनिवार, 8 फरवरी)

जया एकादशी पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक किया जाता है। इस दिन भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और पापों का नाश होता है। इस दिन अन्न का त्याग किया जाता है और फलाहार किया जाता है।


माघी पूर्णिमा (बुधवार, 12 फरवरी)

माघी पूर्णिमा का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इस दिन प्रयागराज के कुंभ में पर्व स्नान होता है और गंगा, यमुना, सरस्वती, नर्मदा जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद दान-पुण्य और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन अन्न, वस्त्र और धन का दान करने का विशेष महत्व है। इन प्रमुख व्रतों और पर्वों के माध्यम से लोग अपनी धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं और पुण्य अर्जित करने का प्रयास करते हैं।