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Navratri 2025: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा, जानें.. माता को क्या लगाएं भोग?

Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। उन्हें गुड़, मालपुआ, खीर, उड़द की दाल और चावल का भोग अर्पित किया जाता है। मां कालरात्रि की उपासना से शत्रुओं का नाश होता है और अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Sun, 28 Sep 2025 06:59:34 PM IST

Navratri 2025

- फ़ोटो Google

Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व में माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रत्येक दिन देवी के एक विशिष्ट रूप की आराधना की जाती है और उनके लिए व्रत रखा जाता है। नवरात्रि का सातवां दिन देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित होता है।


29 अक्टूबर को इस वर्ष नवरात्रि का सातवां दिन यानी महासप्तमी मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कालरात्रि की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। उनका यह उग्र रूप दुष्टों और राक्षसों के विनाश के लिए प्रसिद्ध है। मां कालरात्रि को पूजने से शत्रुओं का नाश होता है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है।


धार्मिक शास्त्रों और मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि को गुड़ विशेष रूप से प्रिय है। अतः इस दिन उन्हें गुड़ से बनी मिठाइयां जैसे मालपुआ, गुड़ की खीर, उड़द की दाल और चावल का भोग अर्पित किया जाता है। ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।


अक्सर मां कालरात्रि और माता काली को एक समान समझ लिया जाता है, परंतु दोनों में अंतर है। मां कालरात्रि, देवी दुर्गा का सातवां रूप हैं, जो विद्युत जैसी प्रभा और तेज से युक्त होती हैं। वहीं, माता काली दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं और उनके हाथ में कटा हुआ सिर तथा नरमुंडों की माला होती है। मां कालरात्रि नरमुंड नहीं धारण करतीं, जबकि माता काली नरमुंडों की माला पहनती हैं।


महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि की उपासना करने से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है, जीवन में सकारात्मकता का आगमन होता है और सभी बाधाएं दूर होती हैं। मां को प्रिय भोग अर्पित कर श्रद्धा से पूजा करें, जिससे उनका आशीर्वाद प्राप्त हो सके।