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Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर भाई के दाहिने कलाई में क्यों बांधी जाती है राखी? जानिए... पुरानी मान्यता

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन 2025 इस साल 9 अगस्त को मनाया जाएगा। जानिए इस पावन त्योहार की तिथि, पूजा विधि, और क्यों राखी भाई की दाहिनी कलाई पर ही बांधी जाती है धार्मिक कारणों के साथ।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 07 Aug 2025 11:55:08 AM IST

Raksha Bandhan 2025

रक्षाबंधन 2025 - फ़ोटो GOOGLE

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन भारत का एक प्रमुख पारंपरिक त्योहार है, जो भाई-बहन के स्नेह और अटूट रिश्ते को मजबूत करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी (रक्षासूत्र) बांधती हैं और उनके दीर्घायु, सुख-समृद्धि और सफलता की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहनों को जीवनभर उनकी रक्षा का वचन देता है। यह त्योहार न केवल परिवारिक रिश्तों को प्रगाढ़ करता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है।


पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का पर्व इस वर्ष 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को आता है और हिंदू धर्म में इसका विशेष धार्मिक महत्व है। रक्षाबंधन की परंपरा के अनुसार, राखी हमेशा भाई की दाहिनी कलाई पर ही बांधी जाती है। इसके पीछे धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं।


दरअसल, हिंदू धर्म में दाहिना हाथ शुभता, संकल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। सभी धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा-पाठ में दाहिने हाथ का ही प्रयोग किया जाता है। जब कोई यज्ञ या पूजा की जाती है, तो आहुतियां देने से लेकर तिलक लगाने तक सभी कार्य दाहिने हाथ से किए जाते हैं। इसीलिए राखी जैसे पवित्र सूत्र को भी भाई की दाहिनी कलाई पर बांधना परंपरा है।


इसके पीछे एक और मान्यता यह है कि दाहिना हाथ 'कर्म का हाथ' होता है यानी सभी अच्छे, पवित्र और रक्षक कार्य इसी हाथ से किए जाते हैं। बहन जब राखी बांधती है, तो वह यह विश्वास व्यक्त करती है कि भाई हर परिस्थिति में उसकी रक्षा करेगा, साथ खड़ा रहेगा, और उसे हर विपत्ति से बचाएगा। यही कारण है कि यह रक्षा-सूत्र उस हाथ पर बांधा जाता है जो कर्तव्य, संकल्प और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। साथ ही, भगवान विष्णु, राम और कृष्ण जैसे देवताओं की पूजा में भी दाहिने हाथ का विशेष महत्व बताया गया है।


रक्षाबंधन की पूजा विधि भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। फिर एक पूजा की थाली तैयार करें, जिसमें दीपक (घी वाला), रोली, चावल, फूल, राखी और मिठाई रखें। पूजा की शुरुआत भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की आराधना से करें, क्योंकि गणेश जी को सभी कार्यों में पहले पूजा जाता है, वे विघ्नहर्ता माने जाते हैं।


भगवान की आरती के बाद बहन अपने भाई को तिलक करती है, उसके दाहिने हाथ पर राखी बांधती है, और उसकी लंबी उम्र व सफल जीवन की प्रार्थना करती है। इसके बाद भाई बहन को उपहार देता है और दोनों मिठाई खाकर इस पवित्र रिश्ते का उत्सव मनाते हैं। रक्षाबंधन केवल एक रस्म नहीं, बल्कि परंपरा, विश्वास और प्रेम का उत्सव है, जो हर साल भाई-बहन के रिश्ते को और अधिक मजबूत करता है।