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रथ सप्तमी 2025, सूर्य देव की पूजा का महत्व और विधि

रथ सप्तमी एक विशेष हिंदू पर्व है जो माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है, जो आत्मा के कारक माने जाते हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 28 Jan 2025 06:15:08 AM IST

Rath Saptami 2025

Rath Saptami 2025 - फ़ोटो Rath Saptami 2025

रथ सप्तमी का पर्व माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 4 फरवरी को पड़ेगा। यह पर्व सूर्य देव के सम्मान और उपासना के लिए विशेष माना जाता है। सनातन शास्त्रों के अनुसार, इस दिन सूर्य देव का अवतरण हुआ था, और इस दिन सूर्य देव की पूजा से जीवन में आ रही कष्टों से मुक्ति मिलती है, साथ ही व्यक्ति को आरोग्य, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है।


रथ सप्तमी का महत्व:

रथ सप्तमी का पर्व सूर्य देव की उपासना करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य देव को आत्मा का कारक माना जाता है, और उनकी पूजा करने से व्यक्ति को शारीरिक एवं मानसिक सुखों के साथ-साथ मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, यह दिन खासकर करियर, व्यापार और व्यक्तिगत जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का दिन होता है।


रथ सप्तमी शुभ मुहूर्त:

सप्तमी तिथि की शुरुआत: 04 फरवरी 2025, सुबह 04:37 बजे

सप्तमी तिथि का समापन: 05 फरवरी 2025, रात 02:30 बजे

शुभ स्नान मुहूर्त: 04 फरवरी को सुबह 05:23 बजे से लेकर 07:08 बजे तक

इस समय सूर्य देव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सूर्य देव की पूजा का महत्व अधिक है, और यह समय सबसे उत्तम होता है।


रथ सप्तमी पर शुभ योग:

रथ सप्तमी के दिन विशेष शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग शामिल हैं। इन योगों के प्रभाव से सूर्य देव की पूजा और उपासना से व्यक्ति को समृद्धि, सुख, और शारीरिक-मानसिक कष्टों से छुटकारा मिलता है। इस दिन की पूजा से जीवन में सफलता, खुशी और आरोग्य की प्राप्ति होती है।


रथ सप्तमी पूजा विधि:

ब्रह्म मुहूर्त में उठें: रथ सप्तमी के दिन सुबह जल्दी उठकर सबसे पहले सूर्य देव का प्रणाम करें और दिन की शुरुआत करें।

स्नान और आचमन: अब घर की सफाई के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन करें और पीले रंग के वस्त्र पहनें, जो सूर्य देव से जुड़े होते हैं।

सूर्य देव को अर्घ्य: सूर्य देव को जल अर्पित करें और इस दौरान सूर्य मंत्र का जाप करें। सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल अर्पित करना विशेष फलदायक माना जाता है।

सूर्य और विष्णु जी की पूजा: अब सूर्य देव और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। इस दौरान सूर्य चालीसा और सूर्य मंत्र का जाप करें।

आरती और दान: पूजा के अंत में सूर्य देव की आरती करें और जरूरतमंदों को दान दें।


सूर्य मंत्र:

"ॐ सूर्याय नमः"

सूर्य चालीसा:


सूर्य चालीसा का पाठ भी इस दिन विशेष रूप से शुभ होता है। इससे विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।



रथ सप्तमी का पर्व सूर्य देव की पूजा करने का सबसे शुभ अवसर है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव की पूजा से जीवन में आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है, और व्यक्ति को सफलता, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है। रथ सप्तमी का पर्व आपके जीवन को रोशन करने वाला साबित हो सकता है, यदि आप इसे श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाते हैं।