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रथ सप्तमी 2025: सूर्य देव की पूजा और जीवन को लाभकारी बनाने के उपाय

रथ सप्तमी का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पर्व माघ महीने के शुक्ल पक्ष के सप्तमी तिथि को मनाया जाता है और इसे माघ सप्तमी भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 01 Feb 2025 07:00:52 AM IST

Ratha Saptami 2025

Ratha Saptami 2025 - फ़ोटो Ratha Saptami 2025

रथ सप्तमी, जिसे माघ सप्तमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है और इसे सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है। रथ सप्तमी का दिन सूर्य देव के जन्म का प्रतीक माना जाता है, और इस दिन विशेष रूप से उगते सूर्य को अर्घ्य देने, उपवास रखने और विशेष दान करने की परंपरा है।


रथ सप्तमी का महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार, रथ सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य, धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। विशेष रूप से इस दिन सूर्य देव की पूजा से मानसिक शांति, सकारात्मकता और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है।


यह दिन सूर्य ग्रह के दोष को समाप्त करने और जीवन को सफल बनाने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इसलिए रथ सप्तमी का दिन सूर्य देव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे उपयुक्त समय है।


रथ सप्तमी के दिन अर्घ्य देने के लाभ

रथ सप्तमी के दिन भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देना अत्यधिक शुभ माना जाता है। अर्घ्य देने के लिए, व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर नहाना चाहिए और उगते सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करना चाहिए। जल में लाल चंदन, चावल, लाल फूल और कुश डालकर सूर्य देव के वैदिक मंत्रों का जाप किया जाता है।

मंत्र: "ऊँ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहि तन्नो सूर्य: प्रचोदयात्।"

इस उपाय से व्यक्ति को अपार धन, यश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। सूर्य देव की कृपा से जीवन में कोई भी संकट नहीं आता और व्यक्ति के जीवन में हमेशा सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।


रथ सप्तमी पर दान करने के लाभ

इस दिन सूर्य देव की पूजा के साथ-साथ दान करने की भी परंपरा है। रथ सप्तमी पर तांबे का बर्तन, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, माणिक्य, लाल चंदन, गर्म कपड़े और लाल रंग की चीजों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे न केवल सूर्य दोष दूर होता है, बल्कि व्यक्ति को परिवार में सुख-शांति और खुशहाली भी मिलती है।

दान के रूप में इन वस्तुओं का वितरण करने से व्यक्ति को सूर्य ग्रह के शुभ फल मिलते हैं और जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है।


रथ सप्तमी का शुभ मुहूर्त

रथ सप्तमी 2025 की तिथि 4 फरवरी को सुबह 4:37 बजे से प्रारंभ होगी, और यह तिथि अगले दिन, यानी 5 फरवरी को रात 2:30 बजे तक रहेगी। इस दिन स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:23 बजे से लेकर 7:08 बजे तक रहेगा, जो कि सूर्य देव की पूजा और अर्घ्य देने के लिए सबसे उपयुक्त समय है।


क्या करें और क्या न करें?

रथ सप्तमी के दिन कुछ विशेष चीजें करने से व्यक्ति को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है:

अर्घ्य देने: सुबह जल्दी उठकर उगते सूर्य को तांबे के लोटे से जल अर्पित करें।

उपवास रखें: रथ सप्तमी के दिन उपवास रखने से आत्मिक शांति और मानसिक सशक्तता मिलती है।

दान करें: तांबे के बर्तन, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, और माणिक्य का दान करें।


रथ सप्तमी के दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए:

लोहा या चमड़े की वस्तुओं का उपयोग: इस दिन लोहा, चमड़ा, जूते और काले तिल खरीदने से बचें।

बाल और नाखून न काटें: रथ सप्तमी के दिन बाल और नाखून काटना वर्जित माना जाता है।


रथ सप्तमी का दिन सूर्य देव की पूजा और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि पाने का सर्वोत्तम अवसर है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से न केवल व्यक्ति के पापों का नाश होता है, बल्कि उसके जीवन में आने वाले सभी संकट भी दूर हो जाते हैं। इसलिए इस दिन विशेष पूजा विधि और दान करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और शांति का वास होता है।