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Makar Sankranti: मकर संक्रांति पर खिचड़ी और तिल-गुड़ खाने की परंपरा, जानें इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

मकर संक्रांति हर साल 14 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी बेहद खास है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 05 Jan 2025 08:00:21 AM IST

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति - फ़ोटो मकर संक्रांति

Makar Sankranti: हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। मकर संक्रांति के अवसर पर उत्तर भारत में खिचड़ी और तिल-गुड़ खाने की विशेष परंपरा है, जो शुद्धता, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक मानी जाती है।


खिचड़ी खाने की परंपरा

ऋषिकेश के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य अखिलेश पांडेय के अनुसार, खिचड़ी एक ऐसा पौष्टिक व्यंजन है, जो दाल, चावल और सब्जियों से मिलकर तैयार होता है। इसे सेहत के लिए हल्का और फायदेमंद माना जाता है।

धार्मिक महत्व: खिचड़ी को पवित्रता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

वैज्ञानिक महत्व: ठंड के मौसम में खिचड़ी जैसा हल्का भोजन पाचन में आसान होता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।


तिल-गुड़ का महत्व

तिल और गुड़ का सेवन मकर संक्रांति पर विशेष रूप से शुभ माना जाता है।

तिल: शरीर को गर्मी देता है और सर्दी से बचाव करता है।

गुड़: पाचन तंत्र को मजबूत करता है और ऊर्जा प्रदान करता है।

ज्योतिष के अनुसार, तिल-गुड़ खाने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।


समाज को जोड़ने वाला पर्व

मकर संक्रांति केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामूहिकता और प्रेम का भी प्रतीक है।

गंगा स्नान: इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

पतंगबाजी: त्योहार की खुशियाँ पतंग उड़ाकर मनाई जाती हैं।

सांस्कृतिक कार्यक्रम: परिवार और दोस्तों के साथ त्योहार मनाने की परंपरा समाज में सामंजस्य बढ़ाती है।


मकर संक्रांति का संदेश

यह पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि बदलते मौसम, स्वास्थ्य और समाज के महत्व को समझने का भी अवसर प्रदान करता है। खिचड़ी और तिल-गुड़ जैसी परंपराओं के माध्यम से यह त्योहार शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के साथ-साथ सामाजिक रिश्तों को भी मजबूत करता है।