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Vijaya Ekadashi: विजया एकादशी 2025; सही डेट, शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस पवित्र दिन पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही, भक्तगण विष्णु कृपा प्राप्त करने के लिए विजया एकादशी व्रत भी रखते हैं।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 19 Feb 2025 07:54:55 AM IST

Vijaya Ekadashi

Vijaya Ekadashi - फ़ोटो Vijaya Ekadashi

Vijaya Ekadashi: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, और इस दिन श्रद्धालु व्रत रखकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस व्रत को करने से साधक को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और व्यवसाय तथा जीवन में उन्नति मिलती है।


विजया एकादशी 2025 की सही तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष विजया एकादशी 2025 की तिथि को लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ पंचांग के अनुसार इसे 23 फरवरी को बताया जा रहा है, जबकि अन्य विद्वान 24 फरवरी को व्रत रखने की सलाह दे रहे हैं।


पंचांग के अनुसार तिथि और मुहूर्त:

एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 फरवरी 2025 को दोपहर 01:55 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 24 फरवरी 2025 को दोपहर 01:44 बजे

व्रत पारण समय: 25 फरवरी 2025 को प्रातः 06:30 से 08:45 बजे तक


महत्वपूर्ण मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05:11 से 06:01 बजे तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02:29 से 03:15 बजे तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 06:15 से 06:40 बजे तक

निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:09 से 12:59 बजे तक


व्रत और पूजा विधि

व्रत रखने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले सात्विक भोजन करना चाहिए।

प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।

भगवान विष्णु को पीले पुष्प, तुलसी दल और पीले वस्त्र अर्पित करें।

भगवान विष्णु के 108 नामों का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।

दिनभर उपवास रखें और केवल फलाहार करें।

रात में जागरण कर भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।

द्वादशी तिथि के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें और फिर व्रत का पारण करें।


भगवान विष्णु के प्रमुख मंत्र

ओं नमो भगवते वासुदेवाय

ओं विष्णवे नम:

ओं नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात्


विजया एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम समुद्र पार कर लंका जाने के लिए मार्ग खोज रहे थे, तब ऋषि वशिष्ठ ने उन्हें विजया एकादशी व्रत करने की सलाह दी थी। भगवान श्रीराम ने इस व्रत का पालन किया और उन्हें रावण पर विजय प्राप्त हुई। इस कारण इसे "विजया एकादशी" कहा जाता है।


विजया एकादशी का लाभ

व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है।

व्यक्ति को जीवन में सफलता और विजय प्राप्त होती है।

व्यापार और करियर में उन्नति होती है।

भगवान विष्णु की कृपा से शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।

पारिवारिक सुख-समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त होती है।


विजया एकादशी का व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में शुभता और सफलता का संचार होता है। जो भी श्रद्धालु विधिपूर्वक इस व्रत का पालन करता है, उसे निश्चित रूप से विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और वह जीवन में हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करता है।