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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 25 May 2025 11:48:42 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (JLNMCH) में वित्तीय अनियमितताओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में एक के बाद एक सामने आए मामलों ने अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब एक नया मामला रिटायर हुई नर्सों को उपार्जित अवकाश (Earned Leave) की गलत गणना कर उन्हें अनाधिकृत रूप से अधिक भुगतान देने का सामने आया है।
अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2024 में सेवानिवृत्त हुईं चार नर्सों को उपार्जित अवकाश की राशि जारी की गई थी। इनमें से एक नर्स को 205 दिनों की अनुमोदित छुट्टी के बजाय 300 दिनों का अवकाश दिखा कर भुगतान कर दिया गया। यानी 95 दिनों का अतिरिक्त भुगतान, जो नियमों के स्पष्ट उल्लंघन का मामला है। यह भुगतान अगस्त 2023 में किया गया था, जो अब ऑडिट में सामने आया है।
यह पहला मामला नहीं है। कुछ दिन पहले नर्स प्रतिमा कुमारी-6 को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ था। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह नर्स तीन साल एक महीने तक बिना ड्यूटी के अनुपस्थित रही, बावजूद इसके उसे करीब ₹28 लाख का वेतन और प्रमोशन का लाभ दे दिया गया। इस मामले में जिलाधिकारी ने दो दिन पहले जांच का आदेश भी दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, रिटायरमेंट से संबंधित वित्तीय लाभों की गणना और भुगतान का कार्य अधीक्षक कार्यालय और अकाउंट सेक्शन द्वारा किया जाता है। ऐसे में बिल तैयार करने वाले कर्मचारियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि बिना मिलीभगत के इतने बड़े स्तर पर गड़बड़ी संभव नहीं है।
अस्पताल में लगातार सामने आ रहे फर्जी भुगतान और वित्तीय गबन के मामलों के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसे घोटाले अस्पताल के अन्य विभागों में भी चल रहे हैं? प्रशासनिक लापरवाही या सुनियोजित मिलीभगत, जो भी कारण हो इन घटनाओं ने सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में पारदर्शिता की पोल खोल दी है।
इन मामलों को देखते हुए अब यह ज़रूरी हो गया है कि अस्पताल के सभी वित्तीय लेन-देन की एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराई जाए। चिकित्सा शिक्षा विभाग और स्वास्थ्य विभाग को मिलकर पूरे संस्थान का आंतरिक ऑडिट कराना चाहिए, ताकि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
जेएलएनएमसीएच में सामने आए ये मामले न केवल प्रशासनिक कुप्रबंधन की ओर इशारा करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि किस प्रकार से सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। यदि समय रहते कड़े कदम नहीं उठाए गए, तो इससे न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की साख प्रभावित होगी, बल्कि अन्य संस्थानों के लिए भी यह एक खतरनाक मिसाल बन सकती है।