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Bihar News : इस परियोजना को 2000-2001 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मंजूरी दी थी, ताकि श्रावणी मेले के दौरान कांवरियों को सुविधा मिल सके।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 28 Mar 2025 09:18:10 AM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Meta

Bihar News : बिहार के भागलपुर जिले में सुल्तानगंज से झारखंड के देवघर तक नई रेल लाइन का सपना जल्द हकीकत में बदलने वाला है। करीब 20 साल बाद इस रुकी हुई परियोजना को मोदी सरकार ने फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। भू-अर्जन निदेशालय ने भागलपुर और बांका के समाहर्ताओं को सुल्तानगंज-बांका-देवघर रेललाइन परियोजना के लिए लंबित भू-अर्जन प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया है। इस परियोजना को 2000-2001 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने मंजूरी दी थी, ताकि श्रावणी मेले के दौरान कांवरियों को सुविधा मिल सके।


बताते चलें कि सुल्तानगंज से बांका होकर देवघर तक 59 किलोमीटर लंबी रेललाइन के लिए केंद्र सरकार ने 2000-2001 में 290 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। इसके लिए 787 एकड़ जमीन की जरूरत थी। 2005-2006 में रेल मंत्रालय ने 44.25 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिसमें बांका के रैयतों को मुआवजा मिल गया, लेकिन भागलपुर में केवल चार मौजों (अब्जूगंज में 4.03 एकड़, नवादा में 14.73 एकड़, सुल्तानगंज वार्ड 7 और 6 में 3.89 और 4.03 एकड़) में आंशिक भुगतान हो सका।


भू-अर्जन निदेशक कमलेश कुमार सिंह ने बताया कि पटना हाई कोर्ट के आदेश और महाधिवक्ता के परामर्श के बाद यह फैसला लिया गया है। महाधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि जिन रैयतों ने मुआवजा ले लिया, उनसे राशि वापस लेना संभव नहीं है, क्योंकि रिकवरी का नियम तीन साल के अंदर लागू होता है। अब नए सिरे से भू-अर्जन शुरू होगा, जिसमें मिरहट्टी सीट-2, मीरहट्टी सीट-3, भीरखुर्द, स्तनडीह, माधोपुर इंग्लिश, उधाडीह, बकराबाद, शिवपुर, निशिहारा, दीनदयालपुर और नयागांव सीट-2 मौजों की जमीन अधिग्रहण की जाएगी।


सृजन घोटाले का असर

कोई शक नहीं कि इस परियोजना को सृजन घोटाले ने भी प्रभावित किया। रैयतों को 18.52 करोड़ रुपये का मुआवजा देना था, लेकिन केवल 9.77 करोड़ रुपये ही दिए जा सके। बैंकों में जमा 8.74 करोड़ रुपये सृजन घोटाले की भेंट चढ़ गए। सृजन घोटाला 2007-2014 के बीच हुआ, जिसमें भागलपुर, बांका और सहरसा जिला प्रशासन के खातों से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि एक एनजीओ, सृजन महिला उद्योग विकास समिति, के खाते में हस्तांतरित की गई थी। इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों, बैंकरों और एनजीओ संचालकों की मिलीभगत सामने आई थी।


रेललाइन का महत्व

यह रेललाइन सुल्तानगंज से अमरपुर, शंभूगंज, कटोरिया और भितिया होते हुए बांका तक जाएगी, और फिर देवघर से जुड़ेगी। बांका से देवघर के बीच ट्रेनें पहले से चल रही हैं, लेकिन सुल्तानगंज से बांका तक का हिस्सा अधूरा है। यह परियोजना श्रावणी मेले के दौरान कांवरियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर) तक लाखों श्रद्धालु कांवर लेकर जाते हैं। इस रेललाइन से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि बिहार और झारखंड के बीच कनेक्टिविटी भी बेहतर होगी।