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Bihar News: बिना कोई नोटिस गिरफ्तार शक्स को हिरासत में रखना पुलिसकर्मियों को पड़ा महंगा, पटना हाई कोर्ट का बड़ा एक्शन

Bihar News: हाई कोर्ट ने कटिहार में आरोपियों को 24 घंटे से अधिक समय तक अवैध रूप से हिरासत में रखने और प्रताड़ित करने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 16 Feb 2025 08:29:22 AM IST

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Bihar News - फ़ोटो REPOTER

Bihar News : बिहार के कटिहार से जुड़ी एक अहम खबर निकलकर सामने आ रही है। जहां एक आरोपी को  24 घंटे से अधिक समय तक अवैध रूप से हिरासत में रखने और प्रताड़ित करने के मामले में हाई कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है। इस घटना को लेकर पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद कई पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरी हैं। 


दरअसल, पटना हाई कोर्ट ने कटिहार नगर थाना में आरोपियों को 24 घंटे से अधिक समय तक अवैध रूप से हिरासत में रखने और प्रताड़ित करने के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया है कि दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ 15 दिनों के भीतर विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित करें।


इसके साथ ही अदालत ने कटिहार के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ मोहन जैन सहित सभी संबंधित अधिकारियों को न्यायालय की अवमानना के मामले में नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायाधीश बिबेक चौधरी की एकलपीठ ने सौरभ पाल व अन्य याचिकाकर्ताओं की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।


बताया जा रहा है कि, कटिहार के मंगल बाजार स्थित अंजनी टेक्निकल इंस्टीट्यूट से जुड़ा है, जिसे पुलिस ने जबरन ताला लगाकर बंद कर दिया था। इसके बाद, संस्थान के मालिक और अन्य कर्मियों को गिरफ्तार कर उन्हें 72 घंटे तक थाने में हिरासत में रखा गया। इसके बाद याचिकाकर्ताओं की ओर से वरीय अधिवक्ता प्रसून सिन्हा ने अदालत में दलील दी कि 15 फरवरी 2017 की शाम छह बजे कटिहार नगर थाना के प्रभारी और अन्य पुलिसकर्मियों ने संस्थान के दफ्तर पर छापा मारकर इसके मालिक और कर्मचारियों को गिरफ्तार कर लिया।


इधर, पुलिस ने आरोप लगाया कि यह संस्थान अवैध रूप से संचालित हो रहा था। हालांकि, गिरफ्तार व्यक्तियों को दो दिनों तक बिना किसी वैध कारण के थाने में रखा गया और उन्हें 18 फरवरी को न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश किया गया। वरीय अधिवक्ता प्रसून सिन्हा ने कोर्ट को बताया कि पुलिस अधिकारियों ने गिरफ्तारी की तारीख को छेड़छाड़ कर 15 फरवरी को 16 फरवरी दर्शाने की कोशिश की, 


लेकिन न्यायिक दंडाधिकारी के 18 फरवरी के हस्ताक्षर से स्पष्ट हो गया कि आरोपियों को 48 घंटे (16 और 17 फरवरी) तक अवैध रूप से पुलिस हिरासत में रखा गया था। यह सुप्रीम कोर्ट के डी. के. बसु बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में दिए गए निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन और न्यायालय की अवमानना है। एकलपीठ ने इस दलील को सही मानते हुए सभी दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना के मामले में नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।