Chhath Puja Tragedy : छठ घाट पर दर्दनाक हादसा: एक ही परिवार के तीन मासूम डूबे, सुरक्षा इंतजाम की खुली पोल

खगड़िया जिले में छठ पर्व के दौरान दर्दनाक हादसा हुआ। मोरकाही थाना क्षेत्र के रशौंक छठ घाट पर एक ही परिवार के तीन मासूम स्नान के दौरान डूब गए। घाट पर सुरक्षा इंतजाम नदारद थे।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 28 Oct 2025 11:23:07 AM IST

Chhath Puja Tragedy : छठ घाट पर दर्दनाक हादसा: एक ही परिवार के तीन मासूम डूबे, सुरक्षा इंतजाम की खुली पोल

- फ़ोटो

लोक आस्था के महापर्व छठ के मौके पर जहां पूरे प्रदेश में श्रद्धा और भक्ति का माहौल था, वहीं खगड़िया जिले में यह पर्व मातम में बदल गया। जिले के मोरकाही थाना क्षेत्र अंतर्गत रशौंक छठ घाट पर रविवार की शाम अर्घ्य देने से पहले स्नान के दौरान एक ही परिवार के तीन मासूम बच्चे गंडक नदी में डूब गए। घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी।


घाट पर सुरक्षा इंतजाम नदारद

स्थानीय लोगों का आरोप है कि छठ जैसे बड़े पर्व के बावजूद प्रशासनिक लापरवाही साफ नजर आई। रशौंक छठ घाट पर न तो बेरीकेडिंग की व्यवस्था थी और न ही गोताखोरों या सुरक्षा कर्मियों की तैनाती। नदी का किनारा फिसलन भरा और गहराई वाला था, जहां महिलाएं व बच्चे बड़ी संख्या में स्नान करने पहुंचे थे। इसी दौरान अचानक तीन बच्चे पानी में उतर गए और गहराई की ओर बह गए। जब तक लोग समझ पाते, वे लापता हो चुके थे।


चीख-पुकार मच गई घाट पर

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जैसे ही बच्चों के डूबने की खबर फैली, घाट पर अफरा-तफरी मच गई। परिजनों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग दौड़े और बच्चों की तलाश में जुट गए। मौके पर ग्रामीणों ने स्थानीय पुलिस को सूचना दी। मोरकाही थाना पुलिस तत्काल पहुंची और स्थानीय गोताखोरों की मदद से बच्चों की तलाश शुरू की। देर रात तक सर्च ऑपरेशन जारी रहा, लेकिन तीनों का कोई सुराग नहीं लग सका।


एक परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

जानकारी के अनुसार, तीनों बच्चे एक ही परिवार से थे। वे अपने माता-पिता के साथ छठ पर्व में शामिल होने आए थे। बच्चों की उम्र 8 से 12 वर्ष के बीच बताई जा रही है। परिजन का रो-रोकर बुरा हाल है। मां-बाप का कहना है कि बच्चे स्नान के लिए पानी में उतरे थे और कुछ ही देर में गहरे पानी में चले गए।


प्रशासन की लापरवाही पर ग्रामीणों में आक्रोश

घटना के बाद स्थानीय लोगों में प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश देखने को मिला। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल इसी घाट पर हजारों लोग छठ पर्व मनाने आते हैं, फिर भी प्रशासन की ओर से सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी की जाती है। ग्रामीणों ने सवाल उठाया कि अगर घाट पर बैरिकेडिंग और गोताखोरों की तैनाती की गई होती तो यह हादसा टाला जा सकता था। उन्होंने जिला प्रशासन से जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।


मौके पर प्रशासनिक टीम ने किया निरीक्षण

घटना की जानकारी मिलते ही एसडीओ और डीएसपी खगड़िया मौके पर पहुंचे। उन्होंने राहत व बचाव कार्य की समीक्षा की और गोताखोरों की टीम को तेजी से सर्च ऑपरेशन चलाने का निर्देश दिया। प्रशासन ने कहा कि बच्चों की खोजबीन के लिए रातभर अभियान जारी रहेगा। एसडीओ ने बताया कि घटना बेहद दुखद है, और इसकी जांच कराई जाएगी। साथ ही, सभी घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश दिए गए हैं।


छठ की खुशी मातम में बदली

छठ पर्व के मौके पर जहां महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया, वहीं रशौंक घाट पर मातम का माहौल छा गया। पूरे गांव में सन्नाटा पसरा है। कई लोग देर रात तक नदी किनारे डटे रहे, ताकि बच्चों का कोई सुराग मिल सके। यह हादसा एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही की पोल खोलता है, जो हर साल छठ जैसे बड़े पर्व पर भी सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं दिखता।


परिजनों को मुआवजा देने की मांग

ग्रामीणों ने मृत बच्चों के परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग की है। लोगों का कहना है कि गरीब परिवार के ये बच्चे अपनी आस्था के साथ छठ मनाने आए थे, लेकिन प्रशासन की लापरवाही ने उनकी जान ले ली।


फिलहाल खोज अभियान जारी

रात तक तीनों मासूमों की खोज में प्रशासनिक टीम, स्थानीय गोताखोर और एनडीआरएफ की सहायता ली जा रही थी। उम्मीद की जा रही है कि सोमवार सुबह तक शवों को बरामद कर लिया जाएगा।