Bihar News: बिहार के इस जिले में खोले जाएंगे दर्जनों मिनी मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं, किसानों और युवाओं को होगा भरपूर लाभ

Bihar News: इस जिले के 18 प्रखंडों में मिनी मिट्टी जांच लैब्स खुलेंगी, 10वीं पास युवाओं को 1.5 लाख का मिल सकता अनुदान। मिट्टी के 12 पैरामीटर्स होंगे टेस्ट, फसल पैदावार बढ़ेगी। आवेदन शुरू..

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 24 Sep 2025 07:23:00 AM IST

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प्रतीकात्मक - फ़ोटो Google

Bihar News: बिहार सरकार ने नालंदा जिले के ग्रामीण इलाकों में कृषि क्रांति लाने के लिए एक नई पहल शुरू की है। जिले के 18 प्रखंडों में मिनी मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं खोलने की योजना पर काम तेज हो गया है। गिरियक और नगरनौसा को छोड़कर बाकी सभी प्रखंडों में एक-एक लैब स्थापित होगी जो किसानों को उनकी जमीन की गहराई से जानकारी देगी। यह योजना न सिर्फ खेती को वैज्ञानिक बनाएगी, बल्कि शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के द्वार भी खोलेगी। आवेदन प्रक्रिया पहले से चल रही है और चयनित लाभार्थियों को सरकार 1.5 लाख रुपये का पूरा अनुदान देगी।


इस योजना के तहत लैब चलाने वाले युवाओं के लिए सख्त मानदंड तय किए गए हैं। आवेदक की उम्र 18 से 27 साल के बीच होनी चाहिए और शैक्षणिक योग्यता के रूप में साइंस में 10वीं पास होना जरूरी है। कंप्यूटर का बेसिक ज्ञान होना भी अनिवार्य है, क्योंकि लैब में डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल होगा। लैब के लिए अपना भवन होना चाहिए या फिर किराए का कमरा लेना पड़े तो कम से कम 4 साल का एग्रीमेंट जरूरी होगा। व्यक्तिगत युवाओं के अलावा, पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समिति) या एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) से जुड़े लोग भी आवेदन कर सकते हैं। चयन जिला स्तरीय समिति करेगी और स्वीकृति मिलने के बाद अनुदान जारी हो जाएगा।


इन मिनी लैब्स में आधुनिक ऑटोमैटिक मशीनें लगेंगी जो मिट्टी के 12 महत्वपूर्ण पैरामीटर्स की जांच करेंगी। इसमें पीएच, ईसी, जैविक कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, सल्फर, बोरोन के साथ जिंक, आयरन, मैंगनीज और कॉपर जैसे सूक्ष्म तत्व शामिल हैं। किसान सस्ते में अपनी मिट्टी का सैंपल देकर सटीक रिपोर्ट पा सकेंगे, जिससे वे सही उर्वरक और खाद का इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे फसल की पैदावार बढ़ेगी, लागत घटेगी और मिट्टी का स्वास्थ्य सुधरेगा। आवेदन के साथ नाम, पता, जन्मतिथि, जाति प्रमाणपत्र, बैंक डिटेल्स, आधार कार्ड, मोबाइल नंबर और शैक्षणिक सर्टिफिकेट जमा करने पड़ेंगे। अगर समूह से जुड़े हैं तो उसका नाम भी बताना होगा।


इस योजना के चार मुख्य लक्ष्य हैं: पहला मिट्टी स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाना; दूसरा जरूरत के हिसाब से पोषक तत्वों की सिफारिश करना; तीसरा मिट्टी प्रबंधन और पर्यावरण संतुलन सुनिश्चित करना; और चौथा फसल उत्पादन बढ़ाना व गुणवत्ता सुधारना। यह बिहार के 470 प्रखंडों में मिनी लैब्स खोलने की बड़ी योजना का हिस्सा है जो राज्य स्तर पर कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देगी। नालंदा जैसे कृषि प्रधान जिले में यह बदलाव किसानों की कमर तोड़ने वाली समस्या को हल कर सकता है। अगर आप योग्य हैं तो जल्द आवेदन करें। यह न सिर्फ आपकी जेब भरेगी, बल्कि गांव की धरती को भी उपजाऊ भी बनाएगी।