Bihar News: बिहार के इन जिलों में इंडस्ट्रियल हब का निर्माण, रोजगार की आने वाली है बाढ़.. Bihar News: बिहार के इन जिलों में एयरपोर्ट का निर्माण, गया हवाई अड्डे को बनाया जाएगा इस मामले में खास.. ISM पटना में व्याख्यान का आयोजन: इसके माध्यम से युवाओं को मिला लैंगिक संवेदनशीलता का संदेश Bihar Cabinet Meeting: नीतीश कैबिनेट का बड़ा फैसला...इस विभाग में 459 लिपिक की होगी बहाली..इन आंदोलनकारियों की पेंशन राशि में भारी वृद्धि अररिया में लूट की कोशिश नाकाम: एक्सीडेंट में घायल हुए दो बदमाश, ग्रामीणों ने हथियार के साथ पकड़ा Bihar Education News: 1st Bihar की खबर का बड़ा असर, भ्रष्टाचार में लिप्त A.E. की सेवा होगी समाप्त.. शिक्षा विभाग को भेजा गया प्रस्ताव, करप्शन की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी Patna News: पटना में स्वतंत्रता दिवस पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम, ड्रोन से होगी निगरानी Patna News: पटना में गंदगी फैलाने वालों पर होगी कड़ी कार्रवाई, इस दिन से अभियान शुरू Janmashtami 2025: जन्माष्टमी पर क्यों तोड़ी जाती है दही हांडी? जानिए... इस परंपरा का इतिहास और महत्व Bihar News: बिहार में मिला इतने हजार करोड़ का खनिज, खजाने की ई-नीलामी की तैयारी में जुटी केंद्र सरकार
1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 16 Apr 2025 04:20:21 PM IST
- फ़ोटो
Bihar Teacher News: बिहार के नालंदा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक शिक्षक को पिछले 30 वर्षों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। यह मामला नालंदा के नूरसराय प्रखंड स्थित चंद्रशेखर संस्कृत प्राथमिक सह मध्य विद्यालय, लोहड़ी से जुड़ा हुआ है। पीड़ित शिक्षक का नाम शिवाकांत पांडेय है, जो हाल ही में 31 मार्च 2025 को प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
शिवाकांत पांडेय की पत्नी अंजू देवी ने अब जिले के लोक शिकायत निवारण केंद्र में आवेदन देकर इंसाफ की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उनके पति ने 1995 से लगातार कई बार विभागीय कार्यालयों के चक्कर लगाए, लेकिन आज तक वेतन नहीं मिला है। आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव के कारण अब उनकी हालत चिंताजनक हो गई है।
क्या है मामला?
मामले की जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक का वेतन तीन बार विद्यालय बंद पाए जाने के कारण रोका गया। बताया गया कि संस्कृत बोर्ड के निर्देश पर यह कदम उठाया गया था। विभाग का कहना है कि विभागीय जांच में अनियमितता सामने आने पर वेतन रोका गया और मामला जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कार्यालय के अधीन भेजा गया। अब मामला लोक शिकायत निवारण केंद्र पहुंचने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि उच्चाधिकारियों के हस्तक्षेप से शिक्षक को न्याय मिल सकेगा।
शिक्षा विभाग का पक्ष
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वेतन भुगतान का निर्णय बोर्ड के निर्देश और जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया गया था। उनका कहना है कि जब तक विभागीय आदेश नहीं आता, तब तक वेतन जारी नहीं किया जा सकता। हालांकि लोक शिकायत केंद्र में मामला जाने के बाद, DEO कार्यालय द्वारा जांच कर अंतिम निर्णय लिए जाने की संभावना है।
सवालों के घेरे में व्यवस्था
यह मामला शिक्षा व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करता है। अगर वाकई विद्यालय बंद था, तो तीन दशकों तक किसी वैकल्पिक कार्रवाई या सेवा समाप्ति का कोई ठोस निर्णय क्यों नहीं लिया गया? और अगर शिक्षक दोषी नहीं हैं, तो उन्हें इतने वर्षों तक वेतन से वंचित रखना न्यायोचित कैसे है?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
शैक्षणिक मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि कोई शिक्षक कार्य नहीं कर रहा था, तो उचित विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए थी। लेकिन वेतन रोके रखना और किसी स्पष्ट आदेश का अभाव शिक्षक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। बिहार के नालंदा जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां एक शिक्षक को 30 साल तक बटन नहीं मिला है।