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Cyber Crime: EOU की जांच में चौंकाने वाला खुलासा, बिहार से ऑपरेट हो रहा था अंतरराज्यीय आधार फ्रॉड; तीन गिरफ्तार

Cyber Crime: देशभर के नागरिकों के संवेदनशील बायोमेट्रिक डाटा को संभालने वाली UIDAI ‘आधार’ प्रणाली में सेंध लगाने वाला एक बड़ा साइबर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जहां तीन साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 11 Sep 2025 07:51:22 AM IST

Cyber Crime

साइबर ठगी - फ़ोटो GOOGLE

Cyber Crime: देशभर के नागरिकों के संवेदनशील बायोमेट्रिक डाटा को संभालने वाली भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) की ‘आधार’ प्रणाली में सेंध लगाने वाला एक बड़ा साइबर फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। इस घोटाले का मुख्य संचालन बिहार के मधेपुरा जिले से किया जा रहा था, जहां तीन साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी के बाद इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ। जांच के अनुसार, इन साइबर ठगों ने राजस्थान के अधिकृत आधार ऑपरेटरों के साथ साठगांठ कर, उनकी ऑपरेटर आईडी का दुरुपयोग करते हुए आधार के सॉफ्टवेयर में अवैध छेड़छाड़ की।


इस मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध इकाई ने UIDAI निदेशक को पत्र लिखकर राजस्थान के 40 से अधिक आधार ऑपरेटरों की जानकारी मांगी है। EoU अब इस फर्जीवाड़े से जुड़े नेटवर्क की जांच को बिहार के अन्य जिलों और अन्य राज्यों तक भी विस्तारित कर रही है। यह मामला एक सुनियोजित अंतरराज्यीय साइबर नेटवर्क की ओर इशारा करता है, जो आधार जैसे संवेदनशील डाटा सिस्टम को निशाना बना रहा था।


जांच में सामने आया है कि आरोपितों ने 39 अलग-अलग फर्जी वेबसाइट तैयार कर रखी थीं, जिनका उद्देश्य चोरी किए गए बायोमेट्रिक डाटा को संग्रहित और नियंत्रित करना था। ये वेबसाइटें अलग-अलग एडमिन्स के जरिए संचालित हो रही थीं, लेकिन इन सभी का मास्टर कंट्रोल मधेपुरा निवासी रामप्रवेश के पास था, जो अपने कॉमन सर्विस सेंटर से इनका संचालन करता था।


EoU के अनुसार, रामप्रवेश ने यूट्यूब और गूगल की मदद से नकली यूजर क्लाइंट लॉगिन पोर्टल बनाना सीखा। इसके बाद उसने एक अनधिकृत विक्रेता से UCL का सोर्स कोड खरीदा और उसे उपयोग कर आयुष्मान डॉट साइट, UCL नेहा, UCL आधार के अलावा छह-सात फर्जी वेबसाइटें बनाई। इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल लोगों की आधार जानकारी और बायोमेट्रिक डाटा को अवैध रूप से संग्रहित करने के लिए किया जा रहा था। बाद में इन वेबसाइटों को साइबर अपराधियों को बेचा भी गया, जिन्होंने इनका इस्तेमाल कर फर्जी पहचान पत्र और दस्तावेज तैयार किए।


EoU के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य आरोपी रामप्रवेश ने विकास कुमार के जरिये नीतीश नामक व्यक्ति से संपर्क साधा, जिसने एनीडेस्क जैसे रिमोट एक्सेस टूल का उपयोग कर उसके लैपटॉप पर अवैध रूप से ईसीएमपी (ECMP) सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया। यह वही सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग आधार केंद्रों पर बायोमेट्रिक डाटा के बदलाव के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं, रामप्रवेश ने राजस्थान के 40 से अधिक ऑपरेटरों के नकली फिंगरप्रिंट भी तैयार कर रखे थे, जो कि सिलिकॉन से बनाए गए थे। इन नकली फिंगरप्रिंट्स का उपयोग कर ऑपरेटर लॉगिन को बायपास कर सॉफ्टवेयर को पटना से चलाया जा रहा था। इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट है कि संबंधित ऑपरेटरों की मिलीभगत इस पूरे घोटाले में शामिल रही है।