1st Bihar Published by: First Bihar Updated Thu, 11 Sep 2025 02:47:28 PM IST
BIHAR BJP PLAN - फ़ोटो FILE PHOTO
BIHAR ELECTION : बिहार में इस साल विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में राज्य के अंदर चुनाव लड़ने की मंशा लिए हर राजनीतिक पार्टी कोई न कोई प्लान जरूर बना रही है। जहां कुछ लोग रोजगार,पलायन और नौकरी के मुद्दे को लेकर जनता के बीच पहूंच रहे हैं तो वहीं सरकार में बैठे लोग विपक्ष को मुद्दा विहीन करने में लगे हुए हैं। इस बीच अब भाजपा के एक सीनियर लीडर ने इस चुनाव के मुद्दे को लेकर बड़े संकेत दिए हैं। जिसके बाद सबकी टेंशन बढ़ने वाली है।
दरअसल, भारत में हाल में ही उपराष्ट्रपति का चुनाव हुआ और इसमें एनडीए की जीत हुई जो पहले से तय था। लेकिन सवाल यह नहीं था की एनडीए को जीत हुई बल्कि सवाल यह था कि आखिर जीत का प्रतिशत 60 कैसे पहूंच गया। अब इसी से जुड़ा हुआ एक फार्मूला बिहार चुनाव में भी लागू करने कि बात कही जा रही है। वैसे तो यह फार्मूला लोहिया के समय का है लेकिन अब इसे बेहद महत्पूर्ण माना जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक, बिहार चुनाव को लेकर भाजपा के एक सीनियर लीडर ने यह इशारा किया है कि "सौ में साठ हमारा, बाकी में बंटवारा।' बिहार चुनाव से पहले भाजपा नेता का ये बयान काफी अहम माना जा रहा है। ऐसे में बड़े भाजपा नेता का इशारा क्या था और किसके लिए था! यह काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।
बिहार चुनाव को लेकर भाजपा के सीनियर लीडर ने गुरुवार को एक बड़ा बयान दे दिया है। हालांकि जिक्र वे उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणाम को लेकर कर रहे थे, पर इस जिक्र के साथ साथ उन्होंने 'इंडिया' अलायंस पर नक्सलवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते कहा 'अब बारी बिहार की है। वहां विधानसभा चुनाव में एनडीए का नारा होगा- 'सौ में साठ हमारा, बाकी में बंटवारा', जनता को नरेंद्र मोदी की डबल इंजन की सरकार इसलिए भाती है, क्योंकि वह सबके जीवन में 'रोशनी' लाती है।'
अब बिहार चुनाव से पहले इस तरह के नारे को महज संयोग कहे या नया प्रयोग लेकिन यह लोहिया की याद को जरूर ताजा करता है जिन्होंने कहा था- 'संसोपा ने बांधी गांठ, पिछड़ा पावे सौ में साठ'। हकीकत यह है कि आज बिहार की राजनीति में जितने बड़े चेहरे सीएम हुए हैं वह इसी के सहारे कुर्सी पर बैठे हैं। ऐसे में अब भाजपा का यह नया नारा एक बड़े संकेत की तरफ इशारा कर रहा है।
गौरतलब हो कि पिछले दिनों सत्ता की लड़ाई में भाजपा ने भी अपनी नीतियां बदली और सॉफ्ट समाजवादी नेताओं के साथ नई राजनीति की और कदम बढ़ाया। इस राजनीति के तहत आज नीतीश कुमार बड़े चेहरा बने हुए हैं। अब बीजेपी ने भी इस ताकत को समझा और अपनी पैठ बनानी शुरू की। यही वजह है कि पिछले कई वर्षों से भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष काफी सोच विचार कर तय किया जा रहा है।