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Bihar News: बिहार में डिजिटल भू-अभिलेख प्रबंधन को मिली नई दिशा, दाखिल-खारिज के लिए पोर्टल की हुई शुरुआत

Bihar News: बिहार में डिजिटल भू-अभिलेख प्रबंधन को नई दिशा मिली है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने "स्थानिक दाखिल-खारिज पोर्टल" की शुरुआत की है, जिससे जमीन से जुड़े अभिलेखों और मानचित्रों का स्वतः अपडेट संभव होगा।

1st Bihar Published by: FIRST BIHAR Updated Tue, 15 Jul 2025 02:59:55 PM IST

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- फ़ोटो reporter

Bihar News: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार ने डिजिटल भू-अभिलेख प्रबंधन को एक नई दिशा देते हुए आज एकीकृत भू–अभिलेख प्रबंधन प्रणाली - स्थानिक दाखिल–खारिज पोर्टल की शुरुआत की। इसका उद्घाटन आज पटना के सर्वे भवन में राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने किया। 


उन्होंने कहा कि डिजिटाइजेशन विभाग का महत्वपूर्ण कार्य है। झोला युग को समाप्त कर लैपटॉप युग की शुरुआत हो गई है। विशेष सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण होते ही स्थानिक दाखिल–खारिज का लाभ सभी को मिलने लगेगा। त्वरित न्याय और त्वरित काम मुख्य उद्देश्य है। इस उच्च तकनीक प्रणाली से काम करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। आम लोगों को इस एकीकृत प्रणाली का बहुत लाभ मिलेगा और विवाद का समापन होगा।


अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि इस प्रणाली को उन सभी गांवों में लॉन्च करने का प्लान है जहां विशेष सर्वेक्षण के तहत अंतिम अधिकार अभिलेख प्रकाशित हो गया है। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि ये टीम की लंबी मेहनत का परिणाम है। इसके लिए पूरी टीम बधाई की पात्र है।


सचिव जय सिंह ने कहा कि विभाग का आईआईटी, रुड़की से समन्वय राजस्व के कार्यों को नई प्रगति दे रहा है। इस प्रणाली से एक भाई अगर अपना हिस्सा बेचता है तो उसका नक्शा भी स्वतः उसके साथ लग जाएगा। जॉइंट प्रॉपर्टी में किसने अपना कहां का हिस्सा बेचा यह जानकारी आसानी से पता चल पायेगी। वर्तमान में तीन जिलों के 80 से अधिक गांवों से इसकी शुरुआत हो रही है। इसके बाद फीडबैक के आधार पर क्रमवार इसमें सुधार किया जाएगा।


आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर कमल जैन ने कहा कि एकीकृत भू अभिलेख प्रबंधन प्रणाली के तहत स्थानिक दाखिल खारिज की शुरुआत करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है। आई आई टी, रुड़की द्वारा विकसित और इसमें प्रयोग किया गया जीआईएस सॉल्यूशन मेक इन इंडिया के तहत किया गया है। इससे पहले उपरोक्त सॉल्यूशन पर होने वाले सारे कार्य विदेशी तकनीक पर आधारित थे और उसका हमेशा लागत देना पड़ता है। इसमें ऐसा नहीं है। हमारे सॉल्यूशन में एक बार जो लागत आई वही खर्च हुआ। अब इसका वर्षवार कोई शुल्क नहीं देना होगा। इस दौरान भू–अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय की निदेशक जे. प्रियदर्शिनी, सचिव दिनेश कुमार राय, विशेष सचिव अरुण कुमार सिंह, संयुक्त सचिव अनिल कुमार पांडेय, आजीव वत्सराज समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।


क्या है स्थानिक दाखिल–खारिज (स्पेशियल म्यूटेशन)?

स्थानिक दाखिल–खारिज (स्पेशियल म्यूटेशन)एक ऐसी आधुनिक प्रक्रिया है, जिसमें भूमि की खरीद-बिक्री अथवा उत्तराधिकार आदि के पश्चात राजस्व मानचित्रों और अधिकार अभिलेखों का स्वतः अद्यतीकरण  (Auto-Update) संभव हो सकेगा। वर्तमान में जमीन के क्रय-विक्रय के बाद राजस्व अभिलेखों में बदलाव हेतु दाखिल-खारिज की प्रक्रिया के तहत केवल जमाबंदी पंजी में ही बदलाव होता है, राजस्व नक्शा में कोई बदलाव नहीं होता है। 


Spatial Mutation की प्रक्रिया के तहत रैयत को सर्व प्रथम भूमि क्रय- विक्रय से पूर्व Pre-Mutation Sketch हेतु आवेदन करना होगा। Pre-Mutation Sketch क्रय- विक्रय की जाने वाली भूमि का वास्तविक नक्शा होगा। इसी नक्शा के आधार पर भूमि का निबंधन तथा दाखिल-खारिज हेतु आवेदन किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत अगर किसी खेसरा के सम्पूर्ण रकबा का दाखिल-खारिज होता है तो खेसरा का संख्या में कोई बदलाव नहीं होगा।  लेकिन अगर खेसरा के विभाजन की स्थिति में नए खेसरा को एक नया संख्या मिलेगा। 


साथ ही इस नयी प्रक्रिया में सभी रैयतों को एक खाता नंबर  दिया जाएगा और भूमि के क्रय के पश्चात वह खेसरा उसके खाते में जुड़ जाएगी। इस प्रक्रिया के तहत सरकारी भूमि आम रैयतों के लॉगिन में उपलब्ध नहीं रहेगी, इससे सरकारी भूमि छेड़छाड़ से बची रहेगी। इससे मानचित्रों में परिवर्तन को मैन्युअल रूप से करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, सटीक और समयबद्ध होगी। अब तक यह प्रक्रिया मैन्युअल और समय लेने वाली थी, जिससे अक्सर विवाद एवं त्रुटियाँ उत्पन्न होती थीं। ILRMS के अंतर्गत यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, त्वरित और सटीक हो जायेगी।


इससे मानचित्रों में परिवर्तन को मैन्युअल रूप से करने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी और पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, सटीक और समयबद्ध होगी। अब तक यह प्रक्रिया मैन्युअल और समय लेने वाली थी, जिससे अक्सर विवाद एवं त्रुटियाँ उत्पन्न होती थीं। ILRMS के अंतर्गत यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शी, त्वरित और सटीक हो जायेगी।


इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड्स मैनेजमेंट सिस्टम के फायदे

1. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के भू–अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय द्वारा तैयार कराए जा रहे इंटीग्रेटेड लैंड रिकॉर्ड्स मैनेजमेंट सिस्टम (ILRMS) के अंतर्गत स्थानिक दाखिल–खारिज (स्पेशियल म्यूटेशन) सहित सभी डिजिटल सेवाएं एक प्लेटफॉर्म पर एक साथ नागरिकों को उपलब्ध कराई जाएंगी। 

2. भू-विवादों में कमी- भूमि से जुड़े दस्तावेज और मानचित्र अद्यतन होने से भ्रम की स्थिति कम होगी और विवादों का स्वतः निवारण संभव होगा।

3. नागरिकों को वास्तविक मानचित्र आधारित जानकारी- अब आम नागरिक अपनी भूमि की स्थिति, आकार और स्थान की जानकारी भू-मानचित्र के साथ ऑनलाइन देख सकेंगे। इससे जमीन की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता बढ़ेगी।

4. सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में सहायक- भूमि की सटीक जानकारी उपलब्ध होने से विभिन्न सरकारी योजनाओं (जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, फसल बीमा आदि) का लाभ सही पात्र लाभार्थियों को शीघ्रता से मिल सकेगा।

5. सरकारी परिसंपत्तियों का बेहतर प्रबंधन- राजस्व मानचित्रों के अद्यतन होने से सरकारी भूमि, सार्वजनिक स्थल, सड़कें, नहर आदि की सीमाएं स्पष्ट होंगी, जिससे अतिक्रमण की पहचान और नियंत्रण आसान होगा।

6. राजस्व न्यायालयों में केसों की संख्या में कमी- स्पेशियल म्यूटेशन से दस्तावेजों और मानचित्रों में समानता आएगी, जिससे भूमि विवादों के मामलों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आने की संभावना है।

7. भू-राजस्व वसूली में वृद्धि- अद्यतन रिकॉर्ड के आधार पर समय पर लगान अधिसूचना और भुगतान की प्रक्रिया सुलभ होगी, जिससे सरकार की राजस्व वसूली क्षमता बढ़ेगी।