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Land Mutation Bihar: अब नहीं चलेगी मनमानी! दाखिल-खारिज अस्वीकृति पर CO को देनी होगी लिखित वजह

Land Mutation Bihar: बिहार में दाखिल-खारिज आवेदन अस्वीकृति पर विभाग ने कड़े निर्देश जारी किए हैं। अब CO को हर अस्वीकृति का ठोस कारण लिखित में देना होगा और उसकी कॉपी रैयत को उपलब्ध करानी होगी।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Fri, 22 Aug 2025 07:43:35 AM IST

Land Mutation Bihar

दाखिल-खारिज - फ़ोटो GOOGLE

Land Mutation Bihar: बिहार में भूमि संबंधित मामलों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने दाखिल खारिज (Land Mutation) से जुड़े आवेदनों की मनमानी अस्वीकृति को लेकर गंभीर रुख अपनाया है। हाल के दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों से शिकायतें मिल रही थीं कि दाखिल खारिज के आवेदनों को बिना किसी स्पष्ट कारण के बड़े पैमाने पर अस्वीकृत कर दिया जा रहा है।


इन शिकायतों के मद्देनज़र विभाग के संयुक्त सचिव ने सभी समाहर्ताओं (DMs) को पत्र जारी कर निर्देश दिया है कि अब से कोई भी आवेदन अस्वीकृत करने पर संबंधित अंचलाधिकारी (CO) को उसका पूरा कारण स्पष्ट रूप से दर्ज करना होगा, और यह जानकारी रैयत (भूमि स्वामी या आवेदनकर्ता) को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जाएगी।


हर अस्वीकृत आवेदन का लिखित कारण देना अनिवार्य होगा। कारण की कॉपी रैयत को व्यक्तिगत रूप से या पंजीकृत डाक/संदेशवाहक के माध्यम से भेजी जाएगी। बिना ठोस और वैध कारण के किसी भी दाखिल खारिज को अस्वीकृत नहीं किया जा सकेगा। सभी डीएम को निर्देश दिए गए हैं कि इसका शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए।


विभाग ने इससे पहले भी स्पष्ट आदेश दिया था कि बिना कारण बताए कोई दाखिल खारिज आवेदन रद्द नहीं किया जाएगा, लेकिन जमीनी स्तर पर इस आदेश का सही ढंग से पालन नहीं हुआ। अब इस बार संयुक्त सचिव ने पुराने निर्देशों का हवाला देते हुए स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि अब भी शिकायतें मिलती हैं तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।


बिहार के विभिन्न जिलों के अंचल कार्यालयों में दाखिल खारिज से संबंधित लगभग 50,000 से अधिक आवेदन अभी भी लंबित हैं। इनमें से कई आवेदन ऐसे हैं जिन्हें दाखिल किए 75 दिन से भी अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।


अभी तक देखा गया है कि कई मामलों में छोटे-छोटे तकनीकी कारणों या मामूली आपत्तियों के आधार पर वादों को खारिज कर दिया जाता था। इसके कारण न केवल रैयतों को आर्थिक और मानसिक परेशानी होती है, बल्कि भूमि विवाद भी बढ़ते हैं। अब नए निर्देशों के तहत, कोई भी अस्वीकृति तभी वैध मानी जाएगी जब उसमें ठोस और वैध कारण लिखा गया हो।