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बिहार में मठ-मंदिरों की जमीनों की अवैध बिक्री, 18 जिलों ने अभी तक नहीं दिया रिकॉर्ड

मुजफ्फरपुर में 89 जगहों पर मठ-मंदिर की जमीन है लेकिन इसका कोई रिकॉर्ड ऑनलाइन अपलोड नहीं है। जिसे सुरक्षित रखने के लिए चहारदीवारी की आवश्यकता है, लेकिन अतिक्रमण और फर्जी बिक्री के कारण सीमांकन और मापी में कठिनाई हो रही है।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 07 Apr 2025 08:32:31 PM IST

BIHAR

मठ-मंदिरों की जमीन पर कब्जा - फ़ोटो GOOGLE

PATNA: मुजफ्फरपुर, भागलपुर, जहानाबाद, कैमूर, नालंदा, लखीसराय, शिवहर, भोजपुर, पश्चिमी चंपारण, शेखपुरा, पूर्वी चंपारण, पटना, मुंगेर, खगड़िया, रोहतास, मधुबनी, दरभंगा और अरवल सहित कुल 18 जिलों मठ और मंदिरों की जमीनें अवैध रूप से बेची जा रही है। वही अब तक धार्मिक न्यास की संपत्तियों का ब्योरा नहीं दिया जा सका है। धार्मिक न्यास की संपत्तियों का पूरा रिकॉर्ड ONLINE पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देशों के बावजूद जिला प्रशासन ने इस पर गंभीरता नहीं दिखाई।


यह अवैध गतिविधि भूमि माफिया और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से हो रही है। विधि विभाग ने दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। राज्य के 18 जिलों में शामिल मुजफ्फरपुर में भी अब तक धार्मिक न्यास की संपत्तियों का पूरा विवरण नहीं दिया गया है। विभाग ने कई बार निर्देश दिए, लेकिन जिले इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। भूमि माफिया और अधिकारियों के सहयोग से मठ-मंदिरों की जमीनों की अवैध बिक्री का मामला सामने आया है।


विधि विभाग ने सभी जिला मजिस्ट्रेट्स को तीन सप्ताह के भीतर पूरी जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने और मठ-मंदिरों की भूमि की बिक्री पर तुरंत रोक लगाने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रिपोर्ट विभाग को भेजने के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्य सचिव ने हाल ही में इस मामले की समीक्षा की, जिसमें 18 जिलों द्वारा रिकॉर्ड अपलोड न करने की बात सामने आई। विधि विभाग के उपसचिव ने सभी आयुक्तों और जिला अधिकारियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है, क्योंकि विधानसभा और विधान परिषद में मठ-मंदिरों की भूमि को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं।


मुजफ्फरपुर में 89 स्थानों पर मठ-मंदिर की भूमि पहचानी गई है, लेकिन इनका कोई रिकॉर्ड ऑनलाइन अपलोड नहीं किया गया है। इन संपत्तियों को सुरक्षित रखने के लिए चहारदीवारी निर्माण की आवश्यकता है, लेकिन अतिक्रमण और फर्जी बिक्री के कारण सीमांकन और मापी में कठिनाई हो रही है। हाल ही में सिवाईपट्टी में धार्मिक न्यास पर्षद की भूमि पर पंचायत भवन बनाने की स्वीकृति दी गई थी, लेकिन मंदिर के सेवायत ने तुरंत रोक लगाने की मांग की।