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BPSC EXAM : बायोमेट्रिक उपस्थिति की गड़बड़ी से अभ्यर्थियों को घबराने की जरूरत नहीं, आयोग ने जारी की अहम सूचना

BPSC EXAM : बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 71वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर बड़ी स्पष्टीकरण जारी किया है। परीक्षा के दौरान कई केंद्रों से यह सूचना मिली कि बायोमेट्रिक उपस्थिति

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 13 Sep 2025 05:25:48 PM IST

BPSC EXAM

BPSC EXAM - फ़ोटो FILE PHOTO

BPSC EXAM : बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 71वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर बड़ी स्पष्टीकरण जारी किया है। परीक्षा के दौरान कई केंद्रों से यह सूचना मिली कि बायोमेट्रिक उपस्थिति का कार्य पूरी तरह से सुचारू रूप से नहीं हो पाया। इसको लेकर कई अभ्यर्थियों के मन में संशय और चिंता की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। अभ्यर्थियों को डर था कि कहीं बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज न होने से उनकी परीक्षा अमान्य न हो जाए या आगे की प्रक्रिया प्रभावित न हो।


लेकिन अब आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि इस संबंध में परीक्षार्थियों को किसी भी प्रकार की घबराहट की आवश्यकता नहीं है। आयोग की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में साफ-साफ कहा गया है कि परीक्षा केंद्रों पर भले ही बायोमेट्रिक प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई हो, लेकिन अभ्यर्थियों की भौतिक उपस्थिति पहले से ही उनके प्रवेश पत्र पर अंकित कर ली गई है। ऐसे में बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज न होने का परीक्षा परिणाम या चयन प्रक्रिया पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।


BPSC ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि बायोमेट्रिक उपस्थिति सिर्फ एक अतिरिक्त व्यवस्था के रूप में लागू की गई थी, ताकि परीक्षा प्रक्रिया को और ज्यादा पारदर्शी और आधुनिक बनाया जा सके। लेकिन किसी तकनीकी कारण या अन्य समस्या की वजह से अगर यह प्रक्रिया कुछ परीक्षा केंद्रों पर सफलतापूर्वक पूरी नहीं हो पाई, तो इसे लेकर अभ्यर्थियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।


आयोग ने यह भी जोड़ा कि सभी उम्मीदवारों की उपस्थिति पहले की तरह उनके प्रवेश पत्र पर दर्ज कर ली गई थी। यही उपस्थिति परीक्षा में भागीदारी की आधिकारिक पुष्टि है। इसलिए जिन अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक दर्ज नहीं हो सका, उनकी उपस्थिति को भी मान्य माना जाएगा और उनके भविष्य की परीक्षा प्रक्रिया पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा।


जानकारी हो कि, BPSC ने हाल के वर्षों में परीक्षा प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाने के लिए कई तकनीकी पहलें की हैं। इन्हीं प्रयासों में से एक है  बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था। इस प्रक्रिया के तहत अभ्यर्थियों की पहचान को रीयल टाइम में सुनिश्चित किया जाता है ताकि नकल, फर्जी परीक्षार्थी या परीक्षा में गड़बड़ी की संभावना पूरी तरह समाप्त हो सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम परीक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक अहम प्रयास है। हालांकि, किसी भी नई तकनीक को लागू करने के शुरुआती चरण में अक्सर तकनीकी चुनौतियाँ सामने आती हैं। यही वजह है कि 71वीं संयुक्त (प्रारंभिक) परीक्षा के कुछ केंद्रों पर यह प्रक्रिया बाधित हुई।


जब परीक्षा के दौरान कई छात्रों को यह जानकारी मिली कि उनका बायोमेट्रिक दर्ज नहीं हो पाया है, तो उन्हें चिंता हुई कि कहीं इसका असर उनके रिजल्ट या मुख्य परीक्षा में शामिल होने की पात्रता पर न पड़े। कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर छात्रों ने अपनी शंकाएं भी साझा कीं। लेकिन आयोग की इस आधिकारिक स्पष्टीकरण के बाद अब छात्रों की चिंता काफी हद तक दूर हो गई है। एक अभ्यर्थी ने कहा, “हमलोगों को यह डर था कि शायद बायोमेट्रिक न होने की वजह से हमारी उपस्थिति रद्द कर दी जाएगी, लेकिन आयोग ने साफ कर दिया कि यह केवल अतिरिक्त सुविधा थी। अब हमें संतोष मिला है।”


BPSC ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि परीक्षाओं की पारदर्शिता और निष्पक्षता उनकी पहली प्राथमिकता है। आयोग ने पहले भी कई बार परीक्षा प्रक्रिया को तकनीकी माध्यमों से और सुदृढ़ बनाने की कोशिश की है। बायोमेट्रिक प्रक्रिया भी इसी प्रयास का हिस्सा है, जो भविष्य में और बेहतर तरीके से लागू की जाएगी। विशेषज्ञ मानते हैं कि बिहार जैसे बड़े राज्य में, जहाँ लाखों की संख्या में अभ्यर्थी परीक्षाओं में शामिल होते हैं, वहाँ तकनीकी साधनों का उपयोग परीक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बढ़ाने में बेहद सहायक साबित हो सकता है।


BPSC की ओर से जारी इस स्पष्ट और भरोसा दिलाने वाली सूचना से अब अभ्यर्थियों को निश्चिंत होना चाहिए। आयोग ने साफ कर दिया है कि बायोमेट्रिक उपस्थिति का न होना परीक्षा में उनकी भागीदारी को प्रभावित नहीं करेगा। उनकी उपस्थिति पहले की तरह मान्य है और इसका भविष्य की चयन प्रक्रिया पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। आयोग ने यह संदेश भी दिया है कि बायोमेट्रिक व्यवस्था सिर्फ उम्मीदवारों की सुविधा और परीक्षा की निष्पक्षता बढ़ाने के लिए लागू की गई थी। इसके अभाव में भी परीक्षा प्रक्रिया वैध और सुरक्षित बनी हुई है।