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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 30 Apr 2025 07:52:33 AM IST
IAS Sanjeev Hans - फ़ोटो FILE PHOTO
IAS Sanjeev Hans : बिहार सरकार के एक पूर्व IAS अधिकारी को लेकर अब एक और बड़ा खुलासा हुआ है। इसके बाद न सिर्फ़ राजनितिक गलियारों में बल्कि प्रसाशनिक महकमों में भी इस खबर को लेकर चर्चा का बाजार काफी तेज हो गया है। आइए जानते हैं कि क्या है यह खुलासा और क्यों इसको लेकर हरा तरफ चर्चा किया जा रहा है।
दरअसल, जेल में बंद आईएएस अधिकारी संजीव हंस को लेकर अब यह खुलासा हुआ है कि इन्होनें पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रामविलास पासवान के निजी सचिव रहते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से अनुकूल फैसला दिवलवाने के लिए मुंबई की एक रियल्टी फर्म से एक करोड़ की रिश्वत ली थी। इस बात का दावा केंदीय जांच एजेंसी ED ने अपने अभियोजन शिकायत में किया है।
जानकारी के मुताबिक, जांच एजेंसी ने यह आरोप संजीव हंस के मित्र विपुल बंसल के स्वीकार नामे के आधार पर लगाया है, जो उस फर्म में कार्यरत थे और इस सौदा में बिचौलिया की भूमिका निभा रहे थे। संजीव के मित्र बंसल ने खुलासा किया कि हंस ने बेंच के आदेश का अनुपालन करने और सारंगा अग्रवाल की गिरफ्तारी को रद्द करने के लिए आरएनए कॉर्प के लिए एनसीडीआरसी बेंच से दो अलग-अलग तारीखों की व्यवस्था की।
ईडी सूत्रों के अनुसार रिश्वत संजीव हंस के एक परिचित शादाद खान के माध्यम से भुगतान किया गया था, जिसका नंबर हंस ने खुद बंसल को दिया था। ध्यान देने वाली बात यह है एनसीडीआरसी उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत काम करता है। ऐसे में इस दावे को सीधा इंकार नहीं किया जा सकता है।
आपको बताते चलें कि, स्व. पासवान 2014 से 2019 के बीच पहली मोदी सरकार में इस विभाग को संभाल रहे थे। संजीव हंस रामविलास पासवान के निजी सचिव के रूप में 3 जुलाई 2014 से 30 मई 2019 तक थे। ईडी के आरोपपत्र के अनुसार, आरएनए कॉर्प के पेरोल पर रहने वाले बंसल ने कथित तौर पर हंस और फर्म के प्रमोटर अनुभव अग्रवाल के बीच एक बैठक करवाई थी, ताकि अनुकूल फैसला आये और उनकी गिरफ्तारी को रोका जा सके।