1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sun, 21 Dec 2025 10:00:53 AM IST
बिहार भूमि - फ़ोटो GOOGLE
Bihar Bhumi: पटना जिले में शहरी और ग्रामीण इलाकों में जमीन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी होने जा रही है। जिला मूल्यांकन समिति की सिफारिश और सरकारी समीक्षा के बाद नयी न्यूनतम मूल्य दर (MVR) लागू की जाएगी, जिससे राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। सूत्रों के अनुसार, फ्रेजर रोड में एक कट्ठा जमीन अब कम से कम पांच करोड़ रुपये में उपलब्ध होगी, जबकि दानापुर में जमीन खरीदने पर लगभग दो करोड़ रुपये देने होंगे। कंकड़बाग जैसे मुख्य सड़क वाले इलाके में जमीन की कीमत तीन करोड़ के आसपास होगी।
नयी दर लागू होने पर रजिस्ट्री के समय स्टांप चार्ज भी नए रेट के अनुसार लगेगा। उदाहरण के तौर पर, तीन करोड़ की जमीन खरीदने पर 10 प्रतिशत यानी 30 लाख रुपये स्टांप चार्ज देना होगा, जबकि पांच करोड़ की जमीन पर 50 लाख रुपये का स्टांप चार्ज लगेगा। बिहटा इलाके में कृषि जमीन के लिए न्यूनतम दर 70 से 80 हजार रुपये प्रति कट्ठा तय की गई है।
पटना जिले में शहरी और ग्रामीण इलाकों के लिए न्यूनतम मूल्य दर निर्धारित की गई है। सूत्रों के अनुसार, शहरी इलाके में दर लगभग तीन गुना बढ़ाई गई है, जबकि पटना से सटे ग्रामीण इलाके में दर लगभग चार गुना बढ़ाई गई है। निबंधन विभाग की समीक्षा के बाद यह दर आधिकारिक रूप से लागू की जाएगी। एमवीआर बढ़ने से राज्य को निबंधन और स्टांप चार्ज के जरिए अतिरिक्त राजस्व मिलेगा।
वर्तमान में फ्रेजर रोड जैसे प्रमुख इलाकों में सर्किल रेट लगभग 1.5 करोड़ रुपये है, जबकि बाजार मूल्य पांच करोड़ के आसपास है। नए सर्किल रेट के लागू होने के बाद बाजार मूल्य आठ से दस करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इसी तरह, अन्य इलाकों में भी जमीन का बाजार मूल्य बढ़ने की संभावना है।
पटना में 19 सड़कों को प्रधान मुख्य सड़क में शामिल किया गया है और नये इलाके लगातार विकसित हो रहे हैं। वर्तमान में फ्रेजर रोड में एक कट्ठा जमीन का न्यूनतम रेट 1.35 करोड़, दानापुर के सिकंदरपुर मिथिला कॉलोनी में लगभग 70 लाख, कंकड़बाग में 1.10 करोड़ और भागवत नगर में लगभग 70 लाख रुपये तय है।
यह बदलाव लगभग 10 वर्षों के बाद हो रहा है। पिछली बार ग्रामीण इलाकों में MVR में बदलाव 2013 और शहरी इलाकों में 2016 में हुआ था। पिछले वर्षों में जमीन के बाजार मूल्य में काफी वृद्धि हुई है। अब नयी दरों के लागू होने से राज्य को निबंधन और स्टांप चार्ज से अधिक राजस्व प्राप्त होगा, साथ ही जमीन खरीदने वालों के लिए भी स्पष्ट और पारदर्शी मूल्य निर्धारण सुनिश्चित होगा।