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पटना और राजगीर में 6 महीने में तैयार होगी साइबर फॉरेंसिक लैब, जांच की रफ्तार होगी 4 गुना तेज

बिहार के पटना और राजगीर में छह महीने के भीतर साइबर फॉरेंसिक लैब तैयार होगी। ADG पारसनाथ ने जानकारी दी कि इससे साइबर अपराधों की जांच चार गुना तेज हो जाएगी। NFSU के साथ हुआ MOU।

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 13 Aug 2025 05:46:21 PM IST

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साइबर फॉरेंसिक लैब - फ़ोटो GOOGLE

PATNA: पटना और राजगीर में जल्द ही साइबर फॉरेंसिक लैब (सीएफएल) की स्थापना होने जा रही है। इन दोनों शहरों में आगामी चार से छह महीने में सीएफएल पूरी तरह से काम करने लगेगा। इससे साइबर संबंधित मामलों में बरामद प्रदर्श के जांच की रफ्तार चार गुणा बढ़ जाएगी। 


इससे प्रदर्श की जांच में काफी तेजी आएगी। यह जानकारी एडीजी (सीआईडी) पारसनाथ ने बुधवार को पुलिस मुख्यालय सरदार पटेल भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने कहा कि इन दोनों सीएफएल की स्थापना गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिट (एनएफएसयू) के सहयोग से किया जा रहा है। इसके लिए संस्थान के साथ एक विशेष एमओयू (समझौता पत्र) पर हस्ताक्षर किया गया है।


एडीजी ने कहा कि एनएफसीयू की टीम बिहार में दोनों साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला की स्थापना में तकनीकी सहायता, कंस्लटेंसी सेवा, साइबर प्रयोगशाला में उपयोग होने वाले उपकरणों की तकनीकी विशिष्टता भी प्रदान करेंगे। इसके साथ ही यहां पहले से मौजूद फॉरेंसिक साइंस लैब के उन कर्मियों को प्रशिक्षण देंगे, जो साइबर फॉरेंसिक के अनुसंधान में लगे हुए हैं। दोनों यूनिट में कार्यरत छह कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों सीएफएल की स्थापना के लिए गृह विभाग के स्तर से सहमति मिल गई है। साथ ही 13 करोड़ 66 लाख 52 हजार रुपये की राशि मंजूर कर दी गई है। इससे साइबर मामलों की जांच में तेजी आएगी। 


एडीजी पारनाथ ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों के तहत 7 साल या इससे अधिक की सजा वाले मामलों में ऑडियो-विजुअल साधनों को सबूत के तौर पर फॉरेंसिक सहायता लेना अनिवार्य है। इसके मद्देनजर सीएफएल की उपयोगिता और अनिवार्य अधिक हो जाती है। 


लगातार बढ़ रहे साइबर अपराध 

बिहार में साइबर अपराध की गतिविधि लगातार बढ़ रही है। विभिन्न आयामों के साइबर अपराध देखने को मिल रहे हैं, जिसमें डिजिटल अरेस्ट, ऑनलाइन ठगी, बैंक धोखाधड़ी, सोशल मीडिया हैकिंग, फिशिंग, फर्जी कस्टमर केयर कॉल, पहचान की चोरी समेत ऐसे अन्य मामले शामिल हैं। एडीजी ने बताया कि राज्य में 2022 में साइबर अपराध के 1606 मामले दर्ज किए गए थे। यह संख्या 2023 में 200 फीसदी बढ़कर 4801 हो गई। 2024 में इन अपराधों की संख्या बढ़कर 5 हजार 721 हो गई। इस वर्ष मई तक 3 हजार 258 साइबर से जुड़े अपराध सामने आ चुके हैं। 


हेल्पलाइन पर आ रही लाखों शिकायतें

साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर रोजाना हजारों की संख्या में कॉल आते हैं। 2024-25 में इस पर 25 लाख कॉल आए थे। इस वर्ष अब तक इस हेल्पलाइन नंबर पर 94 हजार शिकायतें दर्ज की गई, जिसमें 80 हजार शिकायतें वित्तीय ठगी से संबंधित हैं। उन्होंने कहा कि पटना की विधि-विज्ञान प्रयोगशाला में साइबर प्रशाखा कार्यरत है। यहां साइबर अपराध से संबंधित तकनीकी प्रदर्श मसलन मोबाइल फोन, लैपटॉप, सीसीटीवी फूटेज आदि की तकनीकी जांच की जाती है। 2024 के दौरान 255 कांडों के प्रदर्श प्राप्त हुए थे, जिसमें 135 प्रदर्श का निष्पादन किया गया। इस वर्ष जुलाई तक 206 कांड़ों जांच के लिए आए, जिसमें 75 की अब तक जांच हो चुकी है।