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Bihar Land Mutation: दाखिल-खारिज के लिए जमीन मालिकों के साथ रेलवे भी परेशान, सरकार करने जा रही यह काम

Bihar Land Mutation: देश में जमीन के स्वामित्व के मामले में रक्षा मंत्रालय के बाद दूसरे स्थान पर रहने वाला भारतीय रेलवे भूमि के म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) कराने में सुस्ती दिखा रहा है. जानें...पूरी खबर.

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 11 Jun 2025 11:20:42 AM IST

Bihar Land Mutation

जमीन कीदाखिल-खारिज - फ़ोटो GOOGLE

Bihar Land Mutation: देश में जमीन के स्वामित्व के मामले में रक्षा मंत्रालय के बाद दूसरे स्थान पर रहने वाला भारतीय रेलवे भूमि के म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) कराने में सुस्ती दिखा रहा है। 1955-56 से अब तक कई परियोजनाओं के लिए अधिग्रहीत जमीन के कागजात न तो ठीक से संरक्षित किए गए हैं और न ही राजस्व विभाग को पूर्ण रूप से उपलब्ध कराए जा सके हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अब इस समस्या के समाधान के लिए रेलवे के साथ मिलकर एक विशेष समन्वय तंत्र विकसित करने का निर्णय लिया है। 


दरअसल, विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह की अध्यक्षता में हाल ही में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बैठक का मुख्य मुद्दा रेलवे की जमीन का म्यूटेशन था। बैठक में यह सामने आया कि रेलवे के पास जमीन के स्वामित्व के पुख्ता दस्तावेज नहीं हैं। उदाहरण के तौर पर, पटना के दानापुर स्थित 15 एकड़ जमीन के अधिग्रहण से जुड़े आंशिक दस्तावेज ही प्रस्तुत किए गए, जो भी अधूरे पाए गए। उल्लेखनीय है कि इस भूखंड पर रेलवे के 78 प्लॉट स्थित हैं। 


राजस्व विभाग ने रेलवे अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे संबंधित अंचलाधिकारी, अपर समाहर्ता एवं जिला भू-अर्जन पदाधिकारी से संपर्क कर सभी जरूरी अभिलेख उपलब्ध कराएं। इन अभिलेखों की प्रतियां विभाग के मुख्यालय को भी सौंपी जाएंगी। इसके अलावा, हर रेल मंडल के लिए एक-एक समन्वय अधिकारी की नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है। बिहार में रेलवे के कुल आठ मंडल हैं, जिसमें दानापुर, समस्तीपुर, सोनपुर, मुजफ्फरपुर, कटिहार, हाजीपुर, दरभंगा और सहरसा है। अब इन सभी मंडलों में नामित अधिकारी म्यूटेशन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए जिम्मेदार होंगे।


राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के एक स्वतंत्र पोर्टल के जरिए सरकारी जमीनों के म्यूटेशन की प्रक्रिया पहले से संचालित है। अब रेलवे के लिए अलग से एक विशेष ई-मेल आईडी बनाई जा रही है, जिसके माध्यम से दस्तावेजों का आदान-प्रदान और संचार प्रक्रिया सरल की जाएगी। पिछले 20 वर्षों में रेलवे की जिन प्रमुख परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण किया गया है, उनमें से कई की म्यूटेशन प्रक्रिया अभी भी अधूरी है। इनमें नेउरा-दनियांवा रेल लाइन, इस्लामपुर-नटेसर परियोजना, राजगीर-तिलैया रेल विस्तार, सदिसोपुर-जट डुमरी सेक्शन, अररिया-गलगलिया मार्ग, खगड़िया-अलौली कनेक्शन, हसनपुर-कुशेश्वरस्थान परियोजना, दरभंगा-कुशेश्वरस्थान, हाजीपुर-सुगौली, मुजफ्फरपुर-सीतामढ़ी और महाराजगंज-मशरक रेल खंड को शामिल किया गया है। 


इन परियोजनाओं में कई सौ करोड़ रुपये का निवेश हुआ है, लेकिन अधिग्रहीत जमीन के स्वामित्व को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इससे न केवल परियोजनाओं की प्रगति प्रभावित हो रही है, बल्कि भविष्य में कानूनी विवादों की भी आशंका बनी हुई है। रेलवे जैसी बड़ी संस्था द्वारा जमीन से जुड़े अभिलेखों का संरक्षण और म्यूटेशन में लापरवाही, न केवल प्रशासनिक कमजोरी को उजागर करती है, बल्कि सार्वजनिक संसाधनों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े करती है। राजस्व विभाग के साथ हुए नए समन्वय प्रयासों से उम्मीद है कि अब इस दिशा में ठोस प्रगति हो सकेगी।