UPSC : UPSC ने बदला नियम: अब सिविल सेवा प्रीलिम्स परीक्षा के तुरंत बाद जारी होगी प्रोविजनल आंसर-की, उम्मीदवार दर्ज कर सकेंगे आपत्ति

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा परीक्षा से जुड़ा एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। अब से आयोग प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) के तुरंत बाद प्रोविजनल आंसर-की जारी करेगा। इस फैसले से परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और अभ्यर्थियों को अपनी गलतियों क

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Sat, 04 Oct 2025 09:03:35 AM IST

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)

संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) - फ़ोटो FILE PHOTO

UPSC : संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए अब सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) के तुरंत बाद प्रोविजनल आंसर-की जारी करने का फैसला किया है। यह कदम परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। यूपीएससी ने यह जानकारी सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक हलफनामे के माध्यम से दी है। आयोग ने कहा कि अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्रों और उत्तर कुंजी पर आपत्ति दर्ज कराने का भी अवसर मिलेगा। हालांकि फाइनल आंसर-की पहले की तरह ही अंतिम परिणाम जारी होने के बाद सार्वजनिक की जाएगी।


दरअसल, यूपीएससी की इस नीति को लेकर वर्षों से उम्मीदवार शिकायत करते आ रहे थे कि प्रारंभिक परीक्षा में हुई संभावित गलतियों को चुनौती देने का कोई औपचारिक माध्यम नहीं है। हर साल लगभग पांच लाख से अधिक उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल होते हैं, जिनमें से महज 12 से 15 हजार ही मुख्य परीक्षा के लिए चुने जाते हैं। उम्मीदवारों का कहना था कि फाइनल रिजल्ट आने के बाद आंसर-की जारी होने से उन्हें यह समझने में कठिनाई होती है कि वे मुख्य परीक्षा की तैयारी जारी रखें या अगले वर्ष की प्रारंभिक परीक्षा की ओर ध्यान दें।


आयोग ने हलफनामे में कहा है कि परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से यह निर्णय गहन विचार-विमर्श के बाद लिया गया है। अब उम्मीदवारों को हर आपत्ति के साथ कम से कम तीन आधिकारिक या प्रमाणिक स्रोत देना अनिवार्य होगा। इन आपत्तियों पर विषय विशेषज्ञों की टीम विचार करेगी और फाइनल आंसर-की तैयार करेगी। इसी के आधार पर प्रीलिम्स का परिणाम जारी होगा।


सुप्रीम कोर्ट में दायर इस हलफनामे में यूपीएससी ने कहा कि वह न्यायालय के समक्ष इस नीति परिवर्तन को उचित ठहराने और लंबित याचिकाओं के निपटारे का अनुरोध करेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 14 अक्टूबर को होने की संभावना है।


गौरतलब है कि सिविल सेवा उम्मीदवारों की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिकाओं में यह मांग की गई थी कि यूपीएससी, राज्य लोक सेवा आयोगों, आईआईटी, आईआईएम जैसे संस्थानों की तरह परीक्षा के तुरंत बाद आंसर-की जारी करे। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह कदम न केवल उम्मीदवारों बल्कि जनता के हित में भी है, क्योंकि सिविल सेवा चयन प्रक्रिया देश की प्रशासनिक रीढ़ से जुड़ी है और इसे पूरी तरह पारदर्शी होना चाहिए।


दिल्ली में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी दक्ष शर्मा ने कहा, “यह निर्णय छात्रों के लिए राहतभरा है। अब उन्हें यह समझने में आसानी होगी कि उन्हें मुख्य परीक्षा पर फोकस करना चाहिए या अगले वर्ष की तैयारी शुरू करनी चाहिए। पहले आंसर-की जारी होने से उनकी तैयारी की दिशा स्पष्ट होगी।”


हर वर्ष लाखों उम्मीदवार आईएएस, आईपीएस, आईएफएस जैसे प्रतिष्ठित पदों पर चयनित होने का सपना लेकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देते हैं। यह परीक्षा देश की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। सिविल सेवा परीक्षा तीन चरणों— प्रारंभिक, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार— में आयोजित की जाती है। मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर अंतिम मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है।


यूपीएससी का यह नया निर्णय अभ्यर्थियों को पारदर्शी और निष्पक्ष प्रणाली का भरोसा दिलाता है। साथ ही यह कदम भारत के भावी नौकरशाहों के चयन की प्रक्रिया को अधिक न्यायसंगत और भरोसेमंद बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।