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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 02 Jun 2025 07:41:53 AM IST
पटना न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Patna News: पटना जू (संजय गांधी जैविक उद्यान) की सबसे उम्रदराज और दर्शकों की बेहद चहेती हथिनी 'माला' का रविवार की सुबह निधन हो गया। उसकी उम्र लगभग 55 वर्ष थी और वह पिछले कई महीनों से गंभीर रूप से बीमार चल रही थी। उसकी मृत्यु से पूरे जू परिसर में शोक और मायूसी का माहौल छा गया है। विशेष रूप से माला से भावनात्मक रूप से जुड़े पशुपालकों और जू कर्मचारियों की आंखें नम हैं।
पिछले कुछ समय से माला के पैरों में घाव, नाखून उखड़ना और चलने-फिरने में असमर्थता जैसी समस्याएं सामने आ रही थीं। उसने भोजन भी लगभग छोड़ दिया था। इलाज के लिए देश के शीर्ष हाथी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही थी, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद रविवार को उसने दम तोड़ दिया।
जू निदेशक हेमंत पाटिल के अनुसार, प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में माला की मौत का कारण कार्डियक रेस्पिरेटरी फेलियर (हृदय और श्वसन तंत्र की विफलता) बताया गया है। हालांकि, मौत के सटीक कारणों की विस्तृत जांच के लिए माला के विसरा सैंपल को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली भेजा गया है।
माला का जीवन पटना जू में ही बीता। वर्ष 1975 में मात्र 7 वर्ष की उम्र में उसे रेस्क्यू कर पटना लाया गया था। उसके बाद से वह जू का अभिन्न हिस्सा बन गई। हाथी दिवस और अन्य विशेष अवसरों पर माला का खास स्वागत किया जाता था। सर्दियों में उसे तेल मालिश दी जाती थी और वह दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय थी, खासकर बच्चों के बीच।
लंबे समय तक माला ने जू में अकेलेपन में जीवन बिताया, लेकिन कुछ वर्षों पहले 12 साल की एक और मादा हथिनी 'लक्ष्मी' को रेस्क्यू कर लाया गया। लक्ष्मी के आने के बाद माला के जीवन में जैसे एक नई ऊर्जा आ गई। दोनों हथिनियाँ साथ-साथ समय बिताती थीं और जू आने वाले दर्शकों के लिए यह एक आकर्षण बन गया था। अब माला के निधन के बाद लक्ष्मी अकेली हो गई है। रविवार को लक्ष्मी का व्यवहार भी सामान्य से अलग देखा गया, जिससे पता चलता है कि वह भी माला की अनुपस्थिति को महसूस कर रही है। वर्तमान में लक्ष्मी की उम्र लगभग 15 वर्ष है।
जू प्रबंधन अब लक्ष्मी की देखभाल पर विशेष ध्यान दे रहा है ताकि वह मानसिक रूप से स्वस्थ रहे। साथ ही, विशेषज्ञों से सलाह लेकर लक्ष्मी के लिए एक साथी लाने की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है। हथिनी माला सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि पीढ़ियों की यादों का हिस्सा थी। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई उसकी मस्ती, चाल-ढाल और सौम्यता का कायल था। पटना जू के इतिहास में माला का नाम हमेशा सम्मान और स्नेह के साथ याद किया जाएगा।