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1st Bihar Published by: First Bihar Updated Tue, 12 Aug 2025 11:46:32 AM IST
बिहार न्यूज - फ़ोटो GOOGLE
Bihar News: बिहार के सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल से एक शर्मनाक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां डॉक्टरों की अनुपस्थिति में एक सर्पदंश पीड़िता का इलाज किसी डॉक्टर ने नहीं, बल्कि एक महिला तांत्रिक ने किया। यह घटना शुक्रवार रात करीब 8:30 बजे की है, जब छातापुर थाना क्षेत्र के नरहिया वार्ड-1 निवासी रविंद्र सरदार की 18 वर्षीय पुत्री आरती कुमारी को सांप ने बाएं पैर में काट लिया। परिजन तत्काल उसे अनुमंडलीय अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।
डॉक्टर की गैरमौजूदगी में परिजनों ने विवश होकर अपने रिश्ते की एक महिला तांत्रिक रजनी देवी को बुलाया, जो अस्पताल के इमरजेंसी ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में पहुंची और वहां करीब 15 से 20 मिनट तक झाड़फूंक करती रही। अस्पताल की आपातकालीन सेवा में तंत्र-मंत्र जैसी प्रथाओं का खुल्लमखुल्ला इस्तेमाल इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा चुकी हैं।
पीड़िता की मां ने बताया कि आरती को घर के बाहर सांप ने काट लिया था, जिसके बाद वे उसे इलाज के लिए अस्पताल लाए, लेकिन डॉक्टर नदारद थे। परिजन धर्मेंद्र सरदार ने कहा कि डॉक्टर नहीं मिलने पर उन्होंने मजबूरी में तांत्रिक को बुलाया और ओटी में झाड़फूंक कराई। महिला तांत्रिक रजनी देवी ने भी पुष्टि की कि वह बुलावे पर अस्पताल आई थी क्योंकि मौके पर कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।
इस मामले में जब इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात नर्स जीएनएम नीलम कुमारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वे कुछ देर पहले ही ड्यूटी पर आई हैं और उन्हें यह तक नहीं पता कि किस डॉक्टर की ड्यूटी है। जबकि अस्पताल के ड्यूटी चार्ट के अनुसार, रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक डॉक्टर संजीव कुमार सुमन की ड्यूटी थी, जो मौके पर अनुपस्थित थे और उनकी जगह कोई अन्य चिकित्सक भी मौजूद नहीं था।
लगभग 14 करोड़ 36 लाख की लागत से तैयार किए गए इस अस्पताल भवन का उद्देश्य जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना था, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल विपरीत है। डॉक्टरों की गैरहाजिरी और अस्पताल परिसर में खुलेआम झाड़फूंक होना सरकार के स्वास्थ्य सेवा संबंधी दावों की पोल खोल रहा है। यह पहली बार नहीं है जब त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल लापरवाही और अव्यवस्थाओं के कारण चर्चा में आया हो। इसके पहले भी यहां से कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गई है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि जब करोड़ों रुपये खर्च कर स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है, तो आखिर वह मरीजों को लाभ क्यों नहीं दे पा रहा है? और क्यों आम लोगों को मजबूरी में तांत्रिकों के भरोसे अपने परिजनों का इलाज करवाना पड़ रहा है?
सुपौल से संत सरोज की रिपोर्ट